दुनिया जाने मेरा नाम
पढ़लिख कर महान बनू मैं,
भारत माँ की शान रहूँ।
ऐसा बना दो हे भगवान,
मैं भी तो हूँ आखिर इंसान
मुझको प्रभु तुम राह दिखा दो,
चलना दो डग मुझे सीखा दो।
अँधेरों में भी चलता रहूँ मैं,
ऐसा प्रभु कोई दीप जला दो
ऐसा बना दो एक इंसान,
दुनिया जाने मेरा नाम।
मंजिल मेरी हो कितनी भी दूर,
पाकर ही दम लेंगे जरूर।
शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)