संदेश
शादी या सौदा - कहानी - गुड़िया सिंह
आज रश्मि को देखने लड़के वाले आ रहे थे, घर मे सुबह से ही उनके स्वागत की तैयारियाँ चल रही थी। मम्मी ने बताया कि बेटा जल्दी से तैयार हो जा…
प्यार दीवाना होता है - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
प्यार दीवाना होता है जीवन, निश्छल निर्मल पावन मृदु सुहावन, निर्विकार प्रेम नव कोमल किसलय, आनंद मुदित मनुज मन छाता है। सहज प्यार सत…
मन करता है - कविता - सौरभ तिवारी
बैठ पिता के काँधों पर इठलाने को मन करता है, मेले के खेल खिलौनों को घर लाने को मन करता है। पिता अगर फिर से मिल जाएँ उन्हें छुपा कर रख ल…
जीवन कहाँ मिलेगा - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
अरकान: मफ़ऊलु मुफ़ाइलुन फ़ऊलुन तक़ती: 221 1212 122 तुम बिन जीवन कहाँ मिलेगा, गुलशन सा मन कहाँ मिलेगा। पल में राज़ी फिर नाराज़ी, यह परिवर्तन…
इंसान - कविता - निर्मला सिन्हा
सिर पर टोपी, माथे पर तिलक सबब पूछती है क्या? ऐ सियासत जरा ये बता ये हवा मज़हब पूछती है क्या? हैं यहाँ सब भगवान के ही बच्चे, दौड़ता सब…
परिवर्तन: कल और आज - कविता - डॉ॰ विजय पंडित
कल हौसला था जुनून, उल्लास था ताक़त थी महफ़िलें थी शोहरत और सुर्ख़ियाँ दोस्तों की वाहवाही और बेशुमार तालीयाँ तो ज़माने को बदलने चला था मैं…
अंतःकरण का संवाद - लेख - रामासुंदरम
लोक सभा का मानसून सत्र चल रहा था। आरोपों एवं प्रत्यारोपों की झड़ी लगी थी। जिस भी मान्यवर को देखो वह हाव भाव दिखता, बोलता या फिर बुदबुदा…
मानव मूल्य - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
बहुत अफ़सोस होता है मानव मूल्यों का क्षरण लगातार हो रहा। मानव अपना मूल्य स्वयं खोता जा रहा है, आधुनिकता की भेंट मानव मूल्य भी चढ़ता जा…
बरसात और बादल - कविता - आराधना प्रियदर्शनी
निरंतर बादल नील गगन में, आज़ाद घूमता शोर मचाता। कभी रुके तो कभी चले, यह अलग अलग है रंग दिखाता।। सुबह तो लगता बिल्कुल नीला, दिन में लगत…
यहाँ क्यों लोग इस सच्चाई से अनजान होते हैं - ग़ज़ल - धर्वेन्द्र सिंह
अरकान: मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन तक़ती: 1222 1222 1222 1222 यहाँ क्यों लोग इस सच्चाई से अनजान होते हैं, कि अच्छे कर्म ही…
युवा - कविता - निशांत सक्सेना 'आहान'
उठो जागो रुको नहीं, देश का भविष्य हो तुम युवा, रुकावटों से डरो नहीं, छोड़ दो सारे व्यसन, तुमको सशक्त राष्ट्र का निर्माण करते जाना है, …
कब चल दे ज़िंदगानी - कविता - रौनक द्विवेदी
कब चल दे ज़िंदगानी, आओ जी लें हँस बोल के। ना किसी से शिकवा, ना किसी से धोखा, बस प्रेम की मिश्री घोल के। कब चल दे ज़िंदगानी, आओ जी लें ह…
याचना - कविता - प्रवल राणा 'प्रवल'
वेदना के इन स्वरों को एक अपना गान दे दो, भटके हुए जो राहों से उनको भी ज्ञान दे दो। हम चले हैं राह पर यूँ लड़खड़ाते हुए, मिलती नहीं मंज़ि…
जीवन - कविता - सरिता श्रीवास्तव 'श्री'
जीवन चक्र निरंतर चलता, एक-एक दिन घटता जाए। पैदा होते शिशु कहलाए, धीरे-धीरे बुज़ुर्गी पाए। अपना बचपन सच्चा बीता, मकई रोटी चने का साग। …
ज़हन होगा प्रखर अब तो - ग़ज़ल - अविनाश ब्यौहार
अरकान: मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन तक़ती: 1222 1222 ज़हन होगा प्रखर अब तो, सुहाना है सफ़र अब तो। यहाँ माहौल ऐसा है, सुख़न की है लहर अब तो। ख़ुशी से ह…
सावन की रुत - कविता - कृष्ण गोपाल सोलंकी
रिमझिम-रिमझिम बादल बरसे पवन चले पुरवाई, भारत का अभिनंदन करने सावन की रुत आई। आसमान पर काले बादल मस्तक तिलक लगाते हैं, इंद्रधनुष के सात…
सावन का महीना - कविता - सोनल ओमर
बंजर धरती पर जब हरियाली लहराए, उदास सूना-सूना दिल भी खिल-खिल जाए। उमड़-उमड़ के बादल गरजने लग जाए, जब सावन का महीना झूम-झूम कर आए।। कलिया…
प्रोत्साहन - कविता - केशव झा
क़िस्मत की लकीरों में हज़ारों परछाइयाँ दिखाई देंगी। किस-किस तरफ़ जाऊँ यह बात सुनाई देंगी। गर हो आँखों में आँसू तारे भी धुँधली दिखाई देंगी…
मैं - कविता - रतन कुमार अगरवाला
खोज रहा हूँ ख़ुद में ख़ुद को, न पाया कभी ख़ुद को खोज। न जाने कहाँ खो गया मैं? खोज ही रहा ख़ुद को रोज़। फँसा रिश्तों के भँवरजाल में, भूल सा …
झूमा बादल नाची मोर - गीत - भगवत पटेल 'मुल्क मंजरी'
मेंढ़क और गिलहरी नाचें, गौरैया गीत सुनाए। चहुँदिश हरियाली चमक रही, कोयल गाना गाए।। कौआ झूम कर नाच रहा, मछली जल में करत किलोर। झूमा बा…
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