युवा - कविता - निशांत सक्सेना 'आहान'

उठो जागो रुको नहीं,
देश का भविष्य हो तुम युवा,
रुकावटों से डरो नहीं,
छोड़ दो सारे व्यसन,
तुमको सशक्त राष्ट्र का निर्माण करते जाना है,
स्वस्थ समाज के सृजनकर्ता हो तुम युवा,
लक्ष्य प्राप्ति तक रुको नहीं,
आध्यात्म हो या हो विज्ञान ,
हर क्षेत्र में नाम दर्ज कराना है,
भारत को आत्मनिर्भर व बलशाली बनाना है,
रोको तकनीक-ए-विज्ञान का दुरुपयोग,
नया अविष्कारिक आयाम स्थापित कर दिखाना है,
जुड़े रहो संस्कारो से,
आगामी पीढ़ी के लिए आदर्श बन जाना है,
सर्वत्र भारत का झंडा चमका कर,
उगता रवि बन प्रकाशवान हो जाना है,
उठो युवा रुको नहीं,
प्रतिदिन नव्य कीर्तिमान बनाना है।

निशांत सक्सेना 'आहान' - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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