ज़हन होगा प्रखर अब तो - ग़ज़ल - अविनाश ब्यौहार

अरकान: मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
तक़ती: 1222 1222

ज़हन होगा प्रखर अब तो,
सुहाना है सफ़र अब तो।

यहाँ माहौल ऐसा है,
सुख़न की है लहर अब तो।

ख़ुशी से हैं लबालब पल,
हुए उत्सव पहर अब तो।

कहानी बन गई उनकी,
पराया सा शहर अब तो।

कहाँ तक पथ निहारूँ मैं,
न कोई है ख़बर अब तो।

अविनाश ब्यौहार - जबलपुर (मध्य प्रदेश)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos