संदेश
साहित्यकार श्री सुधीर श्रीवास्तव - कविता - महेन्द्र सिंह राज
गोंडा जिले के बरसैनिया गाँव में स्व. श्री ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव और स्व. विमला देवी के पुत्र के रूप में सन 1969 में अवतरित मूर्धन्य स…
हूल- कविता - प्रहलाद मंडल
पूरे भारतवर्ष में अंग्रेजों के ख़िलाफ़ ना जाने कितने जंग छिड़ी थी। संथाल परगना के वंशज ने भी, अंग्रेजी हुकूमत के ख़िलाफ़ एक बड़ी लड़ाई लड़…
रिश्तों का रुका विस्तार - गीत - रश्मि प्रभाकर
रिश्तों का रुका विस्तार, रिश्ते हो गए व्यापार, रिश्ते अब सच्चाई का प्रमाण माँगने लगे। रिश्तों में नहीं है जान, रिश्तो का रहा ना मान, र…
सुनो ना - लघुकथा - ज्योति सिन्हा
"सुनो ना... कुछ कहना है तुमसे" बोल कर, स्वाति अजय के पीछे चल पड़ी। अजय ने कहा - क्या है, ऐसे कैसे चलेगा हर वक़्त तुम्हारे दिम…
आषाढ़ के बादल - कविता - रमाकांत सोनी
उमड़-घुमड़ कर आ गए आषाढ़ के बादल, अंबर में घिर छा गए आषाढ़ के बादल। रिमझिम मूसलाधार बरसता घनघोर घटा छाए, कड़-कड़ करती दामिनी काले बदर…
प्रीत लगाई तुझ संग सजना - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
प्रीत लगाई तुझ संग सजना, कितने बसन्त अब बीत गए। मधुमास मनोहर मन माधव, मकरन्द मदन प्रिय पीड़ भए। मुकलित रसाल तरु गा कोकिल, साजन! कितने उ…
जीवन उत्सव है - आलेख - ब्रह्माकुमारी मधुमिता "सृष्टि"
जीवन सर्वशक्तिमान परमात्मा का दिया हुआ ख़ूबसूरत वरदान है। ये विश्व एक रंगमंच है जिस पर हम आत्माएँ अवतरित होकर इस विश्व नाटक में जिसे जो…
वो बारिश का दिन - त्रिभंगी छंद - संजय राजभर "समित"
वो बारिश का दिन, रहे लवलीन, काग़ज़ी नाव, अच्छे थे। हम बच्चों का दल, देखते कमल, लड़ते थे पर, सच्चे थे। लड़कपन थी ख़ूब, कीचड़ में सुख, समय…
पिता - कविता - आराधना प्रियदर्शनी
जिसने हमको संसार दिया, आनंद ख़ुशी और प्यार दिया, ना तुल्य है सोने चाँदी से, प्रेम जो अपरम्पार दिया। कोई नहीं उनके समान, देंगे उनको शोहर…
बहुत ख़ूबसूरत हो - कविता - रिंकी कमल रघुवंशी "सुरभि"
ख़ुद को नहीं देखा कभी तुम्हारी नज़र से, तुम्हारे मन में उठते अहसास से, तुम्हारी प्यार भरी सोच से। ख़ुद को नहीं गिना कभी सुंदरता की गढ…
माँ - कविता - प्रियांशु शर्मा
जब बोलते हैं माँ का नाम तो समर्पण की देवी का चित्र आ जाता है रूठते हैं हम, मनाती हैं माँ, रोते हैं हम, हँसाती है माँ। भूखे हों तो खाना…
मिलेगी एक दिन मंज़िल - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
अरकान : मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन तक़ती : 1222 1222 1222 1222 मिलेगी एक दिन मंज़िल अभी यह आस बाक़ी है। अजी मकसद अभी तो ज़िंदगी क…
वैराग्य - कविता - दीपक राही
अब एकांत ही मुझे रास आने लगा, मोह को छोड़ वैराग्य ही भाने लगा, झूठे हैं रिश्ते नाते सब क़समे वादे, घर परिवार की यादें, कुछ भी नहीं है स…
शुभकामना - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
उम्र तुम्हारी लंबी होवे, ख़ुशियों का अहसास रहे। ग़म कोई भी पास न आए, शीश प्रभू का हाँथ रहे। आसमान में लाखों तारे, तुम धरती के एक सितारे।…
गुरू बिन ज्ञान कहाँ - दोहा छंद - महेन्द्र सिंह राज
ज्ञान नहीं गुरु के बिना, जाने सकल जहान। जो गुरु का आदर करे, मानव वही महान।। मात पिता पैदा किए, गुरु देते हैं ज्ञान। भगवन के समतुल्य ह…
बाल विवाह: एक अभिशाप - कविता - शैलजा शर्मा
नारी अपने आईने को, ना बनने देना ख़ुद जैसा। जो होता रहा साथ तेरे, ना होने देना अब वैसा।। ना बनने दो उसको कठपुतली, तुम काजल बिंदी तिलक लग…
मर्यादा - कविता - बृज उमराव
मर्यादा एक सीमा है, जिसमें सीमित रहना है। यह है इक तटबंध अनोखा, जिसमें सब को बंधना है।। प्रीति प्रेम द्वेष अरि सारे, मत सीमा को तुम ला…
कोख का बँटवारा - लघुकथा - अंकुर सिंह
रामनारायण के दो बेटों का नाम रमेश और सुरेश है। युवा अवस्था में रामनारायण के मृत्यु होने के बाद उनकी पत्नी रमादेवी ने रामनारायण के जमा-…
तेरी गोदी की चाहत - कविता - रविन्द्र कुमार वर्मा
तेरी गोदी की चाहत, माँ मुझे फिर से सताती है। करूँ क्या आजकल, हर-पल तुम्हारी याद आती है।। तेरे बिन गुज़रे सालों में, रहा मैं उलझा जालों …
पथिक - कविता - सरिता श्रीवास्तव "श्री"
पथिक तुझे बढ़ते जाना है, रुक जाना तेरा काम नहीं। राहों को ख़ुद ही रोशन कर, डर जाना तेरा काम नहीं। शूल हैं पथरीली पगडन्डी, गिरना भी है …
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