पिता - कविता - आराधना प्रियदर्शनी

जिसने हमको संसार दिया,
आनंद ख़ुशी और प्यार दिया,
ना तुल्य है सोने चाँदी से,
प्रेम जो अपरम्पार दिया।

कोई नहीं उनके समान,
देंगे उनको शोहरत सम्मान,
भू पर देव का रूप है,
हाँ हाँ हैं वह मेरे भगवान।

कोई पूजा नहीं उनकी सेवा से बढ़ कर,
हर सुख दिया हमें ख़ुद कष्ट सह कर,
हर तरह से हमें परिपूर्ण किया है,
और कहूँ मैं क्या इतना कह कर।

कभी कमी नहीं की प्यार में,
स्वर्ग मिला संसार में,
अगर ईश्वर का वरदान न मिलता,
हम रह जाते मझधार में।

हम जीवन में सफल न होते,
न देख सलोने स्वप्न में खोते,
रहता ये संसार अधूरा सा,
कभी ना होता स्वप्न भी पूरा।

राहों में हम भटके होते,
अगर हमारे पिता ना होते।

आराधना प्रियदर्शनी - बेंगलुरु (कर्नाटक)

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