आराधना प्रियदर्शनी - बेंगलुरु (कर्नाटक)
पिता - कविता - आराधना प्रियदर्शनी
मंगलवार, जून 29, 2021
जिसने हमको संसार दिया,
आनंद ख़ुशी और प्यार दिया,
ना तुल्य है सोने चाँदी से,
प्रेम जो अपरम्पार दिया।
कोई नहीं उनके समान,
देंगे उनको शोहरत सम्मान,
भू पर देव का रूप है,
हाँ हाँ हैं वह मेरे भगवान।
कोई पूजा नहीं उनकी सेवा से बढ़ कर,
हर सुख दिया हमें ख़ुद कष्ट सह कर,
हर तरह से हमें परिपूर्ण किया है,
और कहूँ मैं क्या इतना कह कर।
कभी कमी नहीं की प्यार में,
स्वर्ग मिला संसार में,
अगर ईश्वर का वरदान न मिलता,
हम रह जाते मझधार में।
हम जीवन में सफल न होते,
न देख सलोने स्वप्न में खोते,
रहता ये संसार अधूरा सा,
कभी ना होता स्वप्न भी पूरा।
राहों में हम भटके होते,
अगर हमारे पिता ना होते।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर