संदेश
हालात - कविता - नृपेंद्र शर्मा "सागर"
गुम हूँ मगर मैं खोया नहीं हूँ, कई रातों से मैं सोया नहीं हूँ। सूखे नहीं आँसू मेरी आँखों के, मर्द हूँ इसलिए मैं रोया नहीं हूँ।। आज बदले…
छवि (भाग ७) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(७) मानव योगी, मानव भोगी, मानव ईश समान हैं। मानव सज्जन-दुर्जन, हिंसक, मूरख अरु विद्वान हैं।। सामाजिक प्राणी है मानव, धार्मिक निष्ठावान…
उपहार - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
बने सेतु ख़ुशियाँ मनुज, करें प्रकृति सुखसार। खिले सुमन सुरभित वतन, रोपण तरु उपहार।। आत्म मनुज सौन्दर्य ही, जीवन का उपहार। सुरभि हीन किं…
बस यही कहानी है - गीत - शमा परवीन
पापा की परियों की बस यही कहानी है, आँखो मे है सपने और थोड़ा सा पानी है। जुनून है हौसला है आगे बढ़ने के लिए, इस लिए सब कुछ पाने की ज़िद…
मानवीय संवेदना - कविता - कार्तिकेय शुक्ल
मैंने समझा, महसूस किया और पाया कि मानवीय संवेदना से अधिक मधुर और महत्वपूर्ण; इस दुनिया में कुछ भी नहीं। नहीं रखता महत्व कुछ और जितना क…
तुम्हें जब से देखा - गीत - रश्मि प्रभाकर
तुम्हें जब से देखा मैंने सरकार चुपके चुपके। मुझे प्यार हो गया है बेशुमार चुपके चुपके।। कभी फ़ोटो को तुम्हारी अपलक निहारती हूँ, कभी आईने…
ग़ज़ल हुए जज़्बात - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेल फ़अल तक़ती : 22 22 22 22 21 12 हम जीते या वो जीते बस जीत हुई। इसी वजह से इतनी गहरी प्रीत हुई।। किन्त…
आँसू - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
आँसुओं की भी अजब कहानी है, कहने को तो पानी है पर ग़म और ख़ुशी दोनों ही इसकी कहानी है। आँसू दु:खों का बोझ कम कर देते हैं, ख़ुशी में भी आँस…
मेरे साथ जी लो - कविता - संदीप कुमार
एक दिन, बस एक दिन ज़िंदगी का, तुम मेरे साथ जी लो। उस दिन सुबह से शाम तक तुम मेरे साथ रहना, जैसे बहता पानी नदियों संग, तुम मेरे साथ बहना…
इक लगन तिरे शहर में जाने की लगी हुई थी - ग़ज़ल - अमित राज श्रीवास्तव "अर्श"
अरकान : फ़ाइलुन फ़अल फ़ाइलुन फ़ाईलुन मुफ़ाइलुन फ़ा तक़ती : 212 12 212 222 1212 2 इक लगन तिरे शहर में जाने की लगी हुई थी। आज जा के देखा मुहब…
अनमोल जीवन - कविता - ऋचा तिवारी
जीवन की क़ीमत समझो, ये जीवन तो अनमोल है। तुम मत टूटो इतना कभी, कमज़ोर नहीं तेरी डोर है। जीवन की इस बग़िया में सुन, फूल हैं तो काँटे भी …
छवि (भाग ६) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(६) मानव काया मोक्ष-द्वार है, परम साधनागार भी। जीवन दुखमय यही बनाए, करे यही उद्धार भी।। जीवन सुख-दुख का सम्मिश्रण, धूप-छाँव का खेल है।…
मातृभूमि - कविता - आराधना प्रियदर्शनी
जीवन पल्लवित हुआ तुम्ही से, यह शरीर है तुम्हारा ही कण। मुग्ध है तुम पर नीलांबर, न्यौछावर फूल तारे मन्डल।। आँचल में तेरे बड़े हुए हैं, …
हाँ मैं शहीद हूँ - कविता - कीर्ती चौधरी
तेरे वास का स्तंभ प्रहरी हूँ, तेरे निश्चल आँखों की नींद हूँ, ना कोई वास अपना, ना नींद है मेरी आँखों में, निरंतर तेरे हृदय में जलता प्र…
हाल उस से बयान क्या करना - ग़ज़ल - अंदाज़ अमरोहवी
अरकान : फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1212 22 हाल उस से बयान क्या करना। ख़ुद को यूँ बे-निशान क्या करना।। जानता हूँ कि जान कुछ भी …
बेटी के सुनहरे क़दम - कविता - सुरेन्द्र सोलंकी
बड़ा प्यारा है ये स्वर छोटे से होंठ गाते हैं जब, हर कोई दीवाना हो जाता है ये मुस्कुराते हैं जब। बड़ी प्यारी चाल लगती है, बेटी के सुनहर…
भूख - कविता - असीम चक्रवर्ती
हमने भूख को देखा है पेट में पलते हुए। भूख को अनुभव किया है बार-बार जन्म लेते हुए। भूख को देखा है चिलचिलाती धूप में कामगार मज़दूरों के …
ये बदरा - कविता - अंकुर सिंह
बिछा धरा पर जल के मोती, हमको घन ठंडक दे जाते। कभी तेज़ बारिश अरु रिमझिम, बरस जलद हरियाली लाते।। दूर-दराज़ से पानी लाकर, गरज तड़क बरसा जा…
समंदर सा गहरा हो विश्वास ऐसा - गीत - डॉ. शंकरलाल शास्त्री
सुना है कि तपना हो जीवन में ऐसा, समंदर सा गहरा हो विश्वास ऐसा। फिरता गया जो वक़्त का पहिया, वो काल बली जो ऐसा भी आया। बचपन के वो दिन …
छवि (भाग ५) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(५) उगते-डूबते हुए सूरज, सतरंगी किरणें लिए। अंबर पे मुस्काता चंदा, मनमोहक सूरत लिए।। शीश उठाए पर्वत नाना, शीतल वायु मनोहरा। सुरभित पुष…
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