अनमोल जीवन - कविता - ऋचा तिवारी

जीवन की क़ीमत समझो,
ये जीवन तो अनमोल है।
तुम मत टूटो इतना कभी,
कमज़ोर नहीं तेरी डोर है।

जीवन की इस बग़िया में सुन,
फूल हैं तो काँटे भी है।
जब दुःखी रहो तो मत भूलो,
ख़ुशियों की सौग़ातें भी है।

गिर कर उठना उठ कर गिरना,
फिर भी हमे चलाता है।
तुम मत भूलो इस बचपन को,
जो क्या क्या हमे सिखाता है।

तुझसे जुड़े कितने क़िस्से,
जब भी तेरी माँ ने बोला है।
हर बार तुम्हारी तारीफ़ों का,
भरा पिटारा खोला है।

तो हे मानव कमज़ोर न पड़,
तुझको तो आगे बढ़ना है।
जीवन की कठिनाई में भी,
हर तूफ़ानों से लड़ना है। 

तो फिर कहता हूँ मैं तुमसे,
तेरा जीवन तो अनमोल है।
दुनिया की ज़्यादा सोच नहीं,
यहाँ ढोल के अंदर पोल है।

ऋचा तिवारी - रायबरेली (उत्तर प्रदेश)

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