संदेश
समंदर सा गहरा हो विश्वास ऐसा - गीत - डॉ. शंकरलाल शास्त्री
सुना है कि तपना हो जीवन में ऐसा, समंदर सा गहरा हो विश्वास ऐसा। फिरता गया जो वक़्त का पहिया, वो काल बली जो ऐसा भी आया। बचपन के वो दिन …
छवि (भाग ५) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(५) उगते-डूबते हुए सूरज, सतरंगी किरणें लिए। अंबर पे मुस्काता चंदा, मनमोहक सूरत लिए।। शीश उठाए पर्वत नाना, शीतल वायु मनोहरा। सुरभित पुष…
पिता आप भगवान - कविता - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
आनंदित कुल पूत पिता पा, किया समर्पित जान सदा है। पिता त्याग सुख शान्ति ज़िंदगी, पूरण सुत अरमान लगा है। लौकिक झंझावात सहनकर, पिता सदा …
आओ चले योग की ओर - कविता - रमाकांत सोनी
आओ चले योग की ओर, आओ चले योग की ओर। तन मन अपना चंगा होगा, सेहत रहेगी सिरमौर।। व्याधि बीमारी महामारी हाई-फाई हो रही भारी। शुगर बीपी का …
सब मिल-जुल कर योग करें - गीत - डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
सब मिल-जुल कर योग करें, अपना जीवन धन्य करें। योग से सब लोग दूर हो रहे, बच्चे बूढ़े और जवान। मोबाइल से सब चिपक गए, जैसे हो ये उनकी जान। …
योग करे हमें निरोग - गीत - डॉ. अमृता पटेल
मन की कुलांचे, योगी ही जाँचें काया की माया में है, नमन का अधिकार। काया को क्षीण कर, मन पैदा करे विकार।। काम, क्रोध, मद, लोभ को पा कर,…
योग का करो नित्य प्रयोग - कविता - ब्रह्माकुमारी मधुमिता "सृष्टि"
योग का करो नित्य प्रयोग, योग से बनता मानव निरोग। स्वास्थ्य धन से, जीवन बनता सुखमय, बिन स्वास्थ्य ना भाए, सुर और लय। स्वस्थ शरीर में ही…
योग करें - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"
योग करें हम योग करें, आलस सुस्ती दूर करें। तन-मन रहेगा चुस्त-दुरुस्त, जीवन को हम निरोग करी। प्रोत्साहित सबको करें, योग करें सब लोग करे…
पिता - कविता - नूरफातिमा खातून "नूरी"
ज़िन्दगी में हर पल सुकून पाया है, माँ हरियाली है तो पिता घना साया है। पिता के कन्धे पर बैठ जग घूम लिया, देखा हमे ज़मीं पर तो उठा के चूम…
संस्कार सद्ज्ञान उदय हो - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
दें मातु पिता परिवार सतत, शिक्षण बाल अबोध हृदय हो। मिले संस्कार षोडश जीवन, नए ज्ञान आचार उदय हो। करो मदद शिक्षा पथ नैतिक, संस्कार सद…
छवि (भाग ४) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(४) मनु-श्रद्धा महामिलन गाथा, शुचि कल्पना 'प्रसाद' की। प्रश्न भिन्न हैं प्रथम-पुरुष पर, किसने भू आबाद की? विविध धर्मग्रंथों का…
नमन शारदे माता - सार छंद - ओम प्रकाश श्रीवास्तव "ओम"
हे शारदे नमन है तुमको, कृपा दिखाओ माता। समझ अज्ञानी अत्याचारी, माफ़ी दे दो माता।। एक एक कण में रहती तू, बन के शीतल छाया। इस जीवन का सार…
सोचना तो आसान था - कविता - आर्यपुत्र आर्यन सिंह यादव
ना सोचा था कभी हमने क्या क़िस्मत का नज़ारा है, बदलता वक़्त भी पल में ये प्रकृति का पिटारा है। सरल है क्या कठिन जग में? समझ ना लोग पाते है…
फिर नया अंदाज़ - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 2122 212 चुप हुई आवाज़ बोलो क्या हुआ। फिर नया अंदाज़ बोलो क्या हुआ।। कल तलक बातें मुहब्ब…
तुम्हारे संतान सदैव सुखी रहें - कविता - गोलेन्द्र पटेल
सभ्यता और संस्कृति के समन्वित सड़क पर निकल पड़ा हूँ शोध के लिए। झाड़ियों से छिल गई है देह, थक गए हैं पाँव कुछ पहाड़ों को पार कर, सफ़र में ठ…
हाँ ज़िंदगी रो रही - कविता - माहिरा गौहर
वक़्त की मार है ग़मों का भरमार है, जलती लाशों की तपिश देख सूरज भी इस दौर का कम हैसियत-दार है। क़ब्र खंद, कफ़न बेच चलते हैं जिनके घर, उन्ह…
नैना - कविता - प्रद्युम्न अरोठिया
हर दिल में विश्वास का दीप जलाती है नैना! माटी की मूरत में भगवान खोजती है नैना!! सच के पथ पर चलने का उत्साह दिखाती है नैना! बंजर पड़ी ज़…
माँ - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
ममता की मूरत माँ होती ख़ूबसूरत माँ, आँचल की छाँव तेरी हर बला टालती। करती ख़ूब प्यार माँ मधुरम दुलार माँ, ममता के मोती सारे मुझ पर वारती।…
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