योग करें - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"

योग करें हम योग करें,
आलस सुस्ती दूर करें।

तन-मन रहेगा चुस्त-दुरुस्त,
जीवन को हम निरोग करी।

प्रोत्साहित सबको करें,
योग करें सब लोग करें।

उद्देश्य यही साधा करें,
सृजन स्वस्थ समाज करें।

बिना ख़र्चे की औषधि है,
इसका हम उपयोग करें।

संजीवनी सा यह है कारगर,
भविष्य इससे बेहतर करें। 

योग करें नित्य प्रयोग करें,
उत्तम जीवन भोग करें।

ॐ मंत्र का योग करें,
श्वास द्वारा ईश्वर से संयोग करें।

मन बुद्धि विवेक को एकाग्र करें,
आओ मिलकर योग करें।

इक्कीस जून को यह प्रण करें,
रोज़ रोज़ योग करें दूर ख़ुद से रोग करें।

अतुल पाठक "धैर्य" - जनपद हाथरस (उत्तर प्रदेश)

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