सब मिल-जुल कर योग करें - गीत - डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव

सब मिल-जुल कर योग करें, अपना जीवन धन्य करें।

योग से सब लोग दूर हो रहे, बच्चे बूढ़े और जवान।
मोबाइल से सब चिपक गए, जैसे हो ये उनकी जान।
मिलने का अब टाइम नहीं हैं, कैसे योग की बात करें।
सब मिल-जुल कर योग करें, अपना जीवन धन्य करें।।

दूर हो रहे माँ बाप से बच्चे, दूरियाँ अब तो बढ़ती जाएँ।
पापा पर है काम का प्रेशर, मम्मी कैसे ध्यान लगाएँ।
नव युवा बेचैन बहुत है, किससे मन की बात करें।
सब मिल-जुल कर योग करें, अपना जीवन धन्य करें।।

दूर होगी ये बेचैनी, काम का प्रेशर होगा कम।
प्रतिदिन मिलकर योग करें, निरोग रहेगें हम।
योग ध्यान, व्यायाम क्रिया की हम सब मिल कर बात करें।
सब मिल-जुल कर योग करें, अपना जीवन धन्य करें।।

योग ध्यान व्यायाम क्रिया में शक्ति है अपरंपार।
इसको निस-दिन अपनाने से, ना होए कोई बीमार।
योग ध्यान व्यायाम क्रिया से, अपने मन को शुद्ध करें।
सब मिल-जुल कर योग करें, अपना जीवन धन्य करें।।

डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव - जालौन (उत्तर प्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos