आओ चले योग की ओर - कविता - रमाकांत सोनी

आओ चले योग की ओर, आओ चले योग की ओर।
तन मन अपना चंगा होगा, सेहत रहेगी सिरमौर।।

व्याधि बीमारी महामारी हाई-फाई हो रही भारी।
शुगर बीपी का मचे शोर, आओ चले योग की ओर।।

संतुलित सुखकर्ता जीवन में हर्ष आनंद भरता।
उठो जल्दी हो रही भोर, आओ चले योग की ओर।।

सदाचार संयम सिखाता, प्राण ऊर्जा भंडार बनाता।
हो हर्षित मन चहुँओर, आओ चले योग की ओर।।

तंदूरुस्ती तन में पाए, उत्तम स्वास्थ्य बनाए।
योगासन हो नित्य भोर, आओ चले योग की ओर।।

अनुलोम विलोम करें, प्राणायाम योगासन करें।
सुखी जीवन हो चहुँओर, आओ चले योग की ओर।।

वज्रासन भुजंगासन योग मयूरासन भगाए रोग।
शीर्षासन खड़े हो ठौर, आओ चले योग की ओर।।

योग जीवन में अपनाएँ, स्वास्थ्य को उत्तम बनाए।
सबको सिखाएँ हर ठौर, आओ चले योग की ओर।।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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