फिर नया अंदाज़ - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"

अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
तक़ती : 2122  2122  212

चुप हुई आवाज़ बोलो क्या हुआ।
फिर नया अंदाज़ बोलो क्या हुआ।।

कल तलक बातें मुहब्बत की हुईं,
पर न बोले आज बोलो क्या हुआ।

क्यों चहकना छोड़ बैठे हो कहो,
हो गए नाराज़! बोलो क्या हुआ।

गुनगुनाया गीत तो ऐसा लगा,
खो गए हैं साज़ बोलो क्या हुआ।

आपकी मौजूदगी बिन यूँ लगा,
छिन गया है ताज बोलो क्या हुआ।

या किया हमने जुदाई के लिए?
मेल का आग़ाज़ बोलो क्या हुआ।

छीनकर फिर बख़्शते हो किस लिए,
प्यार को परवाज़ बोलो क्या हुआ।

आप दिल की बात कहते ही नहीं,
क्यों बने हो राज़ बोलो क्या हुआ।

ममता शर्मा "अंचल" - अलवर (राजस्थान)

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