योग का करो नित्य प्रयोग,
योग से बनता मानव निरोग।
स्वास्थ्य धन से, जीवन बनता सुखमय,
बिन स्वास्थ्य ना भाए, सुर और लय।
स्वस्थ शरीर में ही होता
स्वस्थ मस्तिष्क का विकास,
रोगी काया रहे, सदा निराश।
योग का करो नित्य प्रयोग,
योग से बनता मानव निरोग।
योग शरीर रूपी मशीन को शक्तिशाली बनाता,
बीमारियों को सदा के लिए दूर भगाता।
बने जो स्वस्थ हम तो, स्वस्थ हो परिवार हमारा,
स्वस्थ परिवार ही बनाए स्वस्थ समाज हमारा।
योग का करो नित्य प्रयोग,
योग से बनता मानव निरोग।
आओ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएँ,
मानवीय गुणों से अपना जीवन सजाएँ,
भारत हमारा विश्व गुरु कहलाए।
योग का करो नित्य प्रयोग,
योग से बनता मानव निरोग।
ब्रह्माकुमारी मधुमिता "सृष्टि" - पूर्णिया (बिहार)