नैना - कविता - प्रद्युम्न अरोठिया

हर दिल में विश्वास का 
दीप जलाती है नैना!
माटी की मूरत में
भगवान खोजती है नैना!!
सच के पथ पर चलने का
उत्साह दिखाती है नैना!
बंजर पड़ी ज़मीनों में
उम्मीद उगाती है नैना!!
हर सपने में सच्चाई का 
अक्स ढूँढ़ती है नैना!
दुनिया के रंग-मंच अभिनय का
रंग बिखेरती है नैना!!
ग़म और ख़ुशी के सायों को
पल-पल पढ़ती है नैना!
भावुकता की भूमि पर आँसूओं का
रूप बनकर उभरती है नैना!!
खाली पड़े मकानों में धड़कने का
अहसास कराती है नैना!
दिल से दिल के मिलन का
यक सेतु बनाती है नैना!!

प्रद्युम्न अरोठिया - अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)

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