संस्कार सद्ज्ञान उदय हो - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

दें मातु पिता परिवार सतत, 
शिक्षण बाल अबोध हृदय हो।
मिले संस्कार षोडश जीवन, 
नए ज्ञान आचार उदय हो।

करो मदद शिक्षा पथ नैतिक,
संस्कार सद्ज्ञान उदय हो।
देश प्रगति चहुँ मददगार बन,
नवशोधक निर्माणक हित हो।

मदद विजय रथ आरोहण कर,
सर्व प्रगति सत्काम सुयश हो।
शान्ति सुखद गंध महके निकुंज,
ज्ञान विश्वगुरु भारत फिर हो।

जले दीप संस्कार बालपन,
देश प्रेम सहयोग हृदय हो।
कर्म ज्ञान पथ बन धीर धीर बन,
न्याय दीप नित मंगलमय हो।

मधुरिम सुखमय नित हो जीवन,
यदि संस्कार बचपना ज्ञान हो।
सरल सहज मृदुभाष मनोहर,
व्यवहार स्नेह ललित ज्ञान हो।

उल्लास हृदय सम सूर्य किरण,
मृदुभाष सदय शीतल पावन।
सत्कार्य पथिक हो जन जीवन,
सौहार्द्र हृदय ज्ञान विमल हो। 

निर्मल सरिता कलकल प्रवाह,
हिमराज प्रभा कीर्ति धवल हो।
संस्कार ज्ञान हो जग मानव,
शील त्याग पथ कर्म सबल हो।

जीवन्त ज्ञान परमारथ मन,
अनुशासन अनमोल सदा हो।
संस्कार सुयश हो प्रतिमानक,
मानवता नैतिकता फल हो।

समुदार प्रकृति करुणार्द्र चमन,
सहज सरल भौतिक जीवन हो।
वरदान सुखद संगीत अमन,
ज्ञान प्रीति संस्कार उदित हो।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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