संदेश
दक्षिणपंथी पत्नी, वामपंथी रोटी एवं कोविड - कहानी - रामासुंदरम
आज सुमन को कोविड पॉजिटिव हुए पाँच दिन बीत चुके थे। अभी से उसे आइसोलेशन खाए जा रहा था। जिस घर की हर ईंट उसे पहचानती थी, वहीं उसे एक कोन…
समय - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
कब कौन चला जाए न जाने किसी बहाने से, इस कोरोना काल में जवान अधेड़ और सयाने से। असीम दुःख लगता है जब अपना ही अपनों को छोड़ कर पराया स…
अदृश्य योद्धा - कविता - समय सिंह जौल
कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ी जा रही जंग में, सेनापति के रूप में अदृश्य योद्धा लड़ रहे संग में। डटकर खड़े इन योद्धाओं को ना अच्छा मास्क अस्त्र …
आज का ज्ञानी - कविता - दीप कुमार पाण्डे
समय बहुत गंभीर है, बाँटो साहस प्रेम, नीके दिन भी आएँगे, समय चक्र का नेम। समय चक्र का नेम, समय कभी एक न रहता, दिन भोर घाना उजियारा, रा…
मृत्यु से पहले मरना नहीं है - गीत - हरवंश श्रीवास्तव "हर्फ़"
रात्रि कालिमा बाहुपाश में, है दिव्य दिवाकर को घेरे। अंधियारों के पीछे पीछे बेबस दौड़ रहे सवेरे।। मन में रख मधुमास, पतझड़ों को भरना नहीं …
मंज़र - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
पहले सुना करते थे, अकाल का मंज़र और महामारियों की कहानियाँ। लेकिन इस कोरोना काल में, अब उठ रही है, एक नहीं कई अर्थियाँ। माँ का लाल बिछु…
हे प्रभु अब तो दया दिखाओ - कविता - भानु प्रताप सिंह तोमर
कैसा खेल प्रकृति ने खेला, थम सा गया दुनिया का मेला। हर एक मन में बस अब डर है, अब तो हवाओं में भी ज़हर है। अब हर जन को डरते देखा, त्राह…
बहुत नादान फिरते इस शहर में - ग़ज़ल - श्रवण निर्वाण
अरकान : मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन तक़ती : 1222 1222 122 बहुत नादान फिरते इस शहर में, यहाँ वो मौक़ा खोजे हर क़हर में। रहें घर पर, न कोई हादस…
कैसे करूँ दिल की बात - कविता - अंकुर सिंह
साथ छोड़ते देख लोगों को, कैसे करूँ अपने दिल की बात। समय कठिन है बचके रहना यारों, महामारी लगाए बैठी है घात।। चहुँओर फैली इसकी माया, मन …
आशा का दीप - कविता - ममता रानी सिन्हा
आओ मिलकर आशा का दीप जलाएँ परिस्थिति विकट है और चहुँओर संकट है, पर समाधान भी तो हम ही निकलवाएँ, साथ और संबलता से फिर सफलता लाएँ, स्वंय …
कफ़न मैं बाँट रहा हूँ - कविता - आर एस आघात
दुख भरे माहौल में, अपना व्यापार चला रहा हूँ, सफ़ेद कपड़ा जिसे कहते हैं, कफ़न मैं बाँट रहा हूँ। इस साज़ो-समान से, जलता है चूल्हा मेरे घ…
पच्चीस से माथा-पच्ची - व्यंग्य कथा - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
हमारे यहाँ शादी हो समारोह हो या फिर हो तेरहवीं की दावत, जलवे जब तक तलवे झाड़ के न हो तब तक स्वर्गवासी आत्मा को भी शांती नही मिलती है। अ…
हरियाली हो - कविता - नरेश चन्द्र उनियाल
जदपि करोना ने है रुलाया, एक सबक सुंदर सिखलाया। देखो रौनक जरा धरा की, धुल गई मूरत वसुंधरा की। गर प्रकृति की रखवाली हो, हरियाली हो। ख़ुशह…
कोरोना काल - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
इस कोरोना काल में, निडर हो हिम्मत रखियो, काऊ से मेल मिलाप न करियो। और पहनियो मास्क, घर से न निकलो रखो दूरी बना के नहीं तो होगा काम तमा…
कोरोना - कविता - डॉ. कुमार विनोद
वक़्त के हाथ में अब भी वही कबीरा है। चादर झीनी वही घर अपना फूँक आते है।। राग जीवन का मै जब भी समझना चाहा। दर्द में प्यार के हर गीत उभर …
जब तक साथ तुम्हारा है - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
जब तक साथ तुम्हारा है, बस जीवन मात्र सहारा है। उपकार बहुल मानव प्रीतम, बस महिमा प्रभु जग सारा है। दुनिया पर संकट आया है, कोरोना मौत की…
ख़ुशियों के दिन फिर आवैंगे - हरियाणवी गीत - अशोक योगी "शास्त्री"
दु:ख के बादल छट जावैंगे, थाम उस प्रभु का नाम जपो। ख़ुशियों के दिन फिर आवैंगे, हृदय में विश्वास रखो। दुश्मन तै हाम्म डरते कोन्या, पीठ दि…
हम परिस्थितियों से अधिक शक्तिशाली हैं - आलेख - ब्रह्माकुमारी मधुमिता "सृष्टि"
जीवन यात्रा में परिस्थितियाँ कभी एक जैसी नहीं होती। इसलिए हमें परिस्थितियों से अधिक शक्तिशाली बनना है, तभी हम अपने जीवन को आसान बना पा…
मत जाओ बाज़ार - कविता - आशाराम मीणा
(चेतावनी अपने आप के लिए) मौत की दहशत तुम्हारी राह देख रही है द्वार पर। शोक संदेशे भरे पड़े हैं पढ़लो तुम अख़बार पर। दाना पानी अच्छा खाओ…
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