हम परिस्थितियों से अधिक शक्तिशाली हैं - आलेख - ब्रह्माकुमारी मधुमिता "सृष्टि"

जीवन यात्रा में परिस्थितियाँ कभी एक जैसी नहीं होती। इसलिए हमें परिस्थितियों से अधिक शक्तिशाली बनना है, तभी हम अपने जीवन को आसान बना पाएँगे। आज कोविड-19 है, कल कुछ और आएगा। इसके लिए हमें स्वयं को तैयार रखना है। और हर परिस्थिति में शांत होकर बचाव और सुरक्षा का मार्ग ढूँढना है।

कोरोना के क़हर से बचना हो तो करें यह दो उपाय:
पहला परमात्मा पे विश्वास और दूसरा अपने विचारों को सकारात्मक बनाएँ।
आपने यह दो पंक्तियाँ अवश्य सुनी होंगी-
"ये मत कहो ख़ुदा से मेरी मुश्किलें बड़ी है,
मुश्किलों से कह दो मेरा ख़ुदा बड़ा है"

मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आज वह समय आ गया है जब आप इन पंक्तियों को गुनगुनाते हुए अपने जीवन को सकारात्मक बनाएँ और परमात्मा की शक्ति को पहचानें। हम मनुष्य आत्माएँ परमात्मा की संतान है, परमात्मा की सारी शक्तियाँ हम में विद्यमान हैं, कहीं किसी से कुछ भी माँगने की आवश्यकता नहीं। हे प्यारी आत्माएँ अपनी शक्तियों को पहचानो, ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना हो तुम, सर्व शक्तिमान की संतान हो तुम, फिर यह कोरोना या फिर और भी कोई बड़ी से बड़ी महामारी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। परमपिता परमात्मा के साथ को अनुभव करो,  अपने घरों में बैठकर चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का प्रकम्पन  फैलाओ। भय के वातावरण को दूर करो, स्वयं को और दूसरों को भयमुक्त बनाओ। भय का वातावरण मनुष्य का धैर्य और विवेक खो देता है, इसलिए धैर्य रखते हुए अपने विवेक से काम लो, कोरोना कोई जानलेवा बीमारी नहीं है, इसका इलाज संभव है, जरा सी का सतर्कता हमें इस बीमारी से बचाव करने में हमारी मदद कर सकती है। मास्क लगाएँ हाथों को बार-बार धोएँ, यह कोई बहुत बड़ा काम नहीं है। सरकार अपना काम कर रही है,  वैक्सीन दिलाए जा रहे हैं, बीमार लोगों का इलाज भी हो रहा है। इसलिए इस बीमारी से डरकर या घबरा कर अपने प्राण ना दें। स्वयं भी सम्भलें और दूसरों का सहारा बनें, एक दूसरे को सहयोग देकर बीमारी से लड़ने की शक्ति दें, इतिहास साक्षी है जो आया है वह जाएगा ही। बड़ी से बड़ी विपदा आई पर चली गई,  यह वक़्त भी गुज़र जाएगा, थोड़ा धैर्य रखें।

परमात्मा से योग लगाएँ परमात्मा की शक्तियों को अपने अंदर भरें,  इस समय इसकी बहुत आवश्यकता है। योग से हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जो अभी बहुत आवश्यक है। हमें स्वयं को कोरोना वायरस से अधिक शक्तिशाली बनाना हैं, तभी हम उसका सामना कर पाएँगे।

इस समय को हम सकारात्मक होकर देखें तो आज कुदरत ने हमें वह वक़्त दिया है, जिसकी हमसभी को आवश्यकता थी, हम सभी इस भागमभाग भरी ज़िंदगी में अपनी सृजनात्मकता को भूल गए हैं। आज वो वक़्त मिला है, जब हम घर में रहकर अपने उस सपने को साकार करें। जो भी दबी हुई ख़्वाहिशें थी अब उसे पूरा करें। घर में रहकर भी अपने को व्यस्त रखें।
वक़्त चाहे जैसा भी हो उसे सार्थक करना हमारे हाथों में हैं। इसलिए घर पर रहें, मास्क लगाएँ, स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें, एक दूसरे को सहयोग दें, तथा इस बहुमूल्य समय को व्यर्थ ना गवाएँ। वक़्त मिला है तो क्यों ना इसे सार्थक करें।

ब्रह्माकुमारी मधुमिता "सृष्टि" - पूर्णिया (बिहार)

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