आज का ज्ञानी - कविता - दीप कुमार पाण्डे

समय बहुत गंभीर है,
बाँटो साहस प्रेम,
नीके दिन भी आएँगे,
समय चक्र का नेम।

समय चक्र का नेम, 
समय कभी एक न रहता,
दिन भोर घाना उजियारा,
रात तिमिर का डेरा रहता।
 
देश काल मे ज्ञान की बातें,
नित दिन बदले प्राणी,
घर में छुपके जो रहेगा, 
वही आज है ज्ञानी।

दीप कुमार पाण्डे - शामली (उत्तर प्रदेश)

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