संदेश
जिएँगे हम जितेंगे हम - कविता - ममता रानी सिन्हा
भले हीं धरा पर काल भयंकर है, पर हम भी तो यहाँ के धुरंधर हैं, इस काल को भी हराएँगे हम, जीवन पुष्प फिर से खिलाएँगे हम, इसलिए जिएँगे हम, …
मददगार - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
वर्तमान में समय और माहौल विपरीत है, हर ओर एक अजीब सा ख़ौफ़ फैला है, ख़ामोशी है, सन्नाटा है कब क्या होगा? किसके साथ होगा? प्रश्नचिंह लगाता…
मौत का तांडव - नज़्म - सुषमा दीक्षित शुक्ला
दिख रहा मौत का कैसा तांडव हाय ये किसने क़यामत ढाया। बेबसी क्यूँ कर दी कुदरत तूने, हाय कैसा ये कैसा क़हर छाया। मौत की चीखें सुनी हैं हर …
सुन लो अरज हमारी - गीत - अजय गुप्ता "अजेय"
प्रभुजी अब सुन लो एक अरज हमारी। कोरोना को मार भगाओ, है घातक बीमारी। जग में दुखिया भए सारे, छूट रहा संसार। घर-घर में हो रहा क्रंदन, संव…
ऑक्सीजन चाहिए अभी - कविता - कर्मवीर सिरोवा
ख़्वाबों को इतना जल्दी समेट कर न रख अभी, मंज़िलें फिर आएगी, सब्र कर, शौक मत कर अभी। जिस पड़ोस को तारक मेहता शो में देखते हो, वो समाज सो ग…
काल को है मात देना - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
काल आया तो हुआ क्या, हम लड़ेंगे काल से। मात देंगे काल को हम, अब उसी की चाल से। काल से हम सब करेंगे, सामना डट कर सदा। मुक्त होंगे एक दिन…
परिस्थिति मज़दूर की - कविता - मिथलेश वर्मा
बोल के घर से निकला था, पैसे कमा के आऊँगा। कपड़ें, खिलौने लाऊँगा, बच्चों को शिक्षा दिलाऊँगा।। जब शहर मे कोरोना छाया, पुरे देश को बंद करव…
कोरोना के प्रहार से - कविता - चंदन कुमार अभी
हँसती खिलखिलाती दुनिया थी हमारी, हर दिन गुज़र रहा था बहार से। अब चारों ओर कोहराम मचा है, कोरोना के प्रहार से। सैकड़ों वर्ष बाद आई है फिर…
आम आदमी और कोरोना - आलेख - प्रवीन "पथिक"
यह जीवन जितना दुर्लभ है उतना ही जीना दुष्कर। हमारा देश विगत दो सालों से जिस विषम परिस्थितियों से गुज़र रहा है, उसका चिन्ह साफ़ हमारे देश…
हे नाथ बचा लो - गीत - रमाकांत सोनी
जग के सारे नर नारी रट रहे माधव मुरलीधारी, यशोदा नंदन आ जाओ मोहन प्यारे बनवारी। चक्र सुदर्शन लेकर प्रभु नियति चक्र संभालो, कहर कोरोना ब…
मास्क लगाना - कविता - आशाराम मीणा
शीश महल निर्जन हो गए अपना लगे बेगाना। महानगर सुनसान हो गए हैं शहर हुऐ विराना।। सुनी सड़के विधवा लगती मिले नहीं रवाना। साँसें सबकी रुकी…
कोरोना - कविता - अनिल भूषण मिश्र
दुनिया में आयी एक अजीब बीमारी, देखे सारी दुनिया इससे हारी। तन्त्र मन्त्र ज्ञान विज्ञान सब हो गए फेल, पूरी दुनिया पहुँच गयी है अब जेल। …
जागो जागो हे भगवान - गीत - अजय गुप्ता "अजेय"
जागो जागो हे भगवान, ग़फ़लत में ज़ान। सचमुच अटकी सबकी, टूटी क्षूठी शान। फट रही छाती घर-घर, दुखी हरेक इंसान। गाँव-गाँव शहर-शहर, धधक रहे शमश…
कोरोना पर्यावरण के बीच में सकारात्मक समाचार - निबंध - आनन्द कुमार "आनन्दम्"
पर्यावरण से तात्पर्य हमारे चारो ओर के वातावरण से है जिसमें हम रहते है। इसमे भूमि, जल, वायु, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि शामिल है। लगभग सम…
धीरज न खोना - कुण्डलिया छंद - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल"
कोरोना है कर रहा, अब ताण्डव बिकराल। रूप बदल कर ज्यों यहाँ, नाच रहा है काल।। नाच रहा है काल, परी है मारा-मारी। मानवता लाचार, हुई है ज्य…
कैसी फैली महामारी - कविता - रविन्द्र कुमार वर्मा
मुँह पर मास्क लगा के चल रहे, बच्चें बुढ़े नर नारी। कठिन समय आया है लोगों, कैसी फैली महामारी।। विधालय सब बन्द हुए, और लाइन लगी मेडिकल म…
फिर से आया है कोरोना - गीत - महेश "अनजाना"
लो फिर छा गया है कोना कोना। कोहराम फिर मचाया है कोरोना। जो हद में रहते हम सभी मिलकर, ना पड़ता फिर से इस कदर रोना। बे-ख़ुदी में रहे यूँ,…
लौट आया कोरोना - कविता - गुड़िया सिंह
सुने हो गए सड़क चौराहे, फिर से, हर तरफ़ ही भय का शोर है, किसकी है, ख़ता यह, किसका यह क़सूर है। छुप गए है लोग घरों में, ख़ुद को क़ैद कर बैठे …
कोरोना अब तो रहम कर - कविता - कर्मवीर सिरोवा
ग़रीबी में कोई कैसे रह लें दीवारों में दिन भर, बेबसी में रोता रहा था निर्धन परिवार रात भर। धनवानों ने तो लूटी तन्हाई खाया था पेट भर, थू…
कोरोना की हवाबाजी - आलेख - परमजीत कुमार चौधरी
देश और दुनिया में कोरोना की दूसरी लहर फिर से परवान पर चढ़ी है। पता नहीं यह और कितने दिन रहेगी हालांकि पिछले बार की तुलना में इस बार डर…
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