मृत्यु से पहले मरना नहीं है - गीत - हरवंश श्रीवास्तव "हर्फ़"

रात्रि कालिमा बाहुपाश में, है दिव्य दिवाकर को घेरे।
अंधियारों के पीछे पीछे बेबस दौड़ रहे सवेरे।।
मन में रख मधुमास, पतझड़ों को भरना नहीं है!
मृत्यु से पहले मरना नहीं है!!

अवनी से अम्बर तक अपनी विजय पताकाएँ फहरी हैं।
विपदाएँ आई हैं, पर सोचो, कितनी देर वो ठहरी हैं।।
निज शौर्य गाथाओं को लज्जित कभी करना नहीं हैं!
मृत्यु से पहले मरना नहीं है!!

कुंठित सोच, नकारात्मकता के आवरण को फाड़कर।
स्वच्छ कर मानस पटल को, भय शोक तम को झाड़कर।।
आवेग प्रभंजन के चक्रवात में, किंचित तुम्हें फँसना नहीं है!
मृत्यु से पहले मरना नहीं है!!

हम में है बुद्धि बल और हृदय विशाल है।
शुभाशीष बुजुर्गों का और कृपापुंज महाकाल है।।
काल के कराल से फिर तनिक डरना नहीं है!
मृत्यु से पहले मरना नहीं है!!

हरवंश श्रीवास्तव "हर्फ़" - बाँदा (उत्तर प्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos