संदेश
न अपनों को सताओ - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
अरकान : फ़ाइलुन फ़ाइलात तक़ती : 212 2121 न अपनों को सताओ, क़सम से मान जाओ। भले इक ख़्वाब बनकर, कभी तो याद आओ। कभी आकर अचानक, अजी कुछ तो सु…
भाई से भाई बेगाना हो गया - ग़ज़ल - रज्जन राजा
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 2122 212 भाई से भाई बेगाना हो गया, बंद आना और जाना हो गया। ख़ुद से ज़्यादा था यक़ीं जिस …
तू लाजवाब है तो मैं भी लाजवाब हूँ - ग़ज़ल - भाऊराव महंत
अरकान : मफ़ऊलु फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन तक़ती : 221 2121 1221 212 तू लाजवाब है तो मैं भी लाजवाब हूँ, तुझमें शबाब है तो मैं आला-शबाब हूँ…
छोटे लोग गिने जाते कंकर की श्रेणी में - ग़ज़ल - भाऊराव महंत
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन तक़ती : 2122 2122 21221 छोटे लोग गिने जाते कंकर की श्रेणी में, और बड़े आ जाते हैं पत्थर की श्रे…
साथ में जब आपको अपने खड़ा पाता हूँ मैं - ग़ज़ल - चन्द्रा लखनवी
अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती: 2122 2122 2122 212 साथ में जब आपको अपने खड़ा पाता हूँ मैं, क्या बताऊँ किस क़द-ओ-क़…
मुसलसल हम अगर मिलते रहेंगे - ग़ज़ल - प्रशान्त 'अरहत'
अरकान: मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन फ़ऊलुन तक़ती: 1222 1222 122 मुसलसल हम अगर मिलते रहेंगे, पुराने ज़ख्म सब सिलते रहेंगे। इजाज़त तुम अगर दे दो मुझे…
बादल अंबर में घिर आए - ग़ज़ल - अविनाश ब्यौहार
अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन तक़ती : 22 22 22 22 बादल अंबर में घिर आए, मौसम बारिश के फिर आए। लोग यहांँ पर आतुर होंगे, वाजिब है गर…
नफ़रत का बम फोड़ा जाए - ग़ज़ल - रज्जन राजा
अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन तक़ती : 22 22 22 22 नफ़रत का बम फोड़ा जाए, अपनों को ना छोड़ा जाए। मग़रूरी ने तोड़े हैं दिल, अब इसको भ…
जहाँ तक मुझे आ रहा है नज़र - ग़ज़ल - रज्जन राजा
अरकान : फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल तक़ती : 122 122 122 12 जहाँ तक मुझे आ रहा है नज़र, न छाया बची है न कोई शजर। तपिस से बचेगा नहीं अब कहीं,…
छप रहे हैं इतने क़िस्से रोज़ भ्रष्टाचार के - ग़ज़ल - श्याम सुन्दर अग्रवाल
छप रहे हैं इतने क़िस्से रोज़ भ्रष्टाचार के, हाशिये तक पर नहीं हैं गीत अब सिंगार के। ख़ून की होली की ख़बरें सुर्ख़ हैं इतनी यहाँ, रँग भी उड़न…
जो ज़ुबाँ बेज़ुबान होती है - ग़ज़ल - भाऊराव महंत
जो ज़ुबाँ बेज़ुबान होती है, वो मरे के समान होती है। गर दग़ा एक बार खा लेती, ज़िंदगी सावधान होती है। तीर उसके इशारों पे चलते, हाथ जिसके कमा…
लबों पे आया तेरा नाम जाने क्या बात है - ग़ज़ल - दिलीप सिंह यादव
अरकान : मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुफ़ाईलु फ़ाइलुन तक़ती : 2212 2212 1221 212 लबों पे आया तेरा नाम जाने क्या बात है, सपने में मैंने देखा…
रूह तक को भी छू गया वो मेरे - ग़ज़ल - रंजना लता
अरकान : मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन तक़ती : 1222 122 122 122 रूह तक को भी छू गया वो मेरे, वो ख़ुशबू है, चाँदनी है, दुआ है, क्या है? ज़ि…
फ़ासला नज़दीकियों का मूल है - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 2122 212 फ़ासला नज़दीकियों का मूल है, ज्यों गुलाबों का सहारा शूल है। इक ज़रा सी बात पर न…
रोज़ इंसान का इंसान से झगड़ा होगा - ग़ज़ल - मोहसिन 'क़लम'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1122 1122 22 रोज़ इंसान का इंसान से झगड़ा होगा, यह वही दौर है पुरखों ने जो सोच…
पी गया वह पीर ताड़ी की तरह - ग़ज़ल - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 2122 212 पी गया वह पीर ताड़ी की तरह, सकपकाया फिर अनाड़ी की तरह। लोग उसकी बात कैसे मान…
आज कुछ लिखने का मन है - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन तक़ती : 2122 2122 आज कुछ लिखने का मन है, प्रीत का जागा बचपन है। मिलन दिल को छूने आ रहा, विरह कर रहा पला…
पहले हर समझौता करना पड़ता है - ग़ज़ल - सालिब चन्दियानवी
अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा तक़ती : 22 22 22 22 22 2 पहले हर समझौता करना पड़ता है, तब रिश्तों को पक्का करना पड़ता है।…
कल पड़े जाना भले ही आज जाएँ जान से - ग़ज़ल - धर्वेन्द्र सिंह 'बेदार'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 2122 2122 212 कल पड़े जाना भले ही आज जाएँ जान से, हम जिए हैं हम जिएँगे हम मर…
कब मिलोगे बोलिए जी - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन तक़ती : 2122 2122 कब मिलोगे बोलिए जी, चुप ज़ुबाँ को खोलिए जी। याद में छुप कर बहुत दिन, अब बहुत दिन रो लिए ज…