नफ़रत का बम फोड़ा जाए - ग़ज़ल - रज्जन राजा

अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
तक़ती : 22  22  22  22

नफ़रत का बम फोड़ा जाए,
अपनों को ना छोड़ा जाए।

मग़रूरी ने तोड़े हैं दिल,
अब इसको भी तोड़ा जाए।

तब जाके बनता है घर जब,
इक-इक तिनका जोड़ा जाए।

मय मयखाने ग़ुरबत लाते,
इनसे मुँह अब मोड़ा जाए।

ख़ुशियों की चादर हुई छोटी,
चल 'रज्जन' ग़म ओढ़ा जाए।


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