संदेश
मेरे गुरुजी सबसे अच्छे - बाल कविता - डॉ॰ कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
आँखों मे चश्मा चमक रहा, है गेहुँआ रंग। धोती कुर्ता पहन कर आते, अजब निराले ढंग।। पतली छड़ी साथ वो लाते, जब कक्षा में आते। सब डर जाते देख…
गुरु महिमा - कविता - सरिता श्रीवास्तव 'श्री'
गुरु ज्ञान की ज्योति अनोखी, अंतस फैला तिमिर मिटाए। अनगढ़ मूढ़ शून्य शिष्य को, सघन शून्य महत्व सिखाए।। दीपक जैसा जलता जाए, शिष्य अंतर प…
प्रिय गुरुवर - कविता - दीपा पाण्डेय
वंदन-अभिनन्दन करती हूँ, बारम्बार नमन करती हूँ। आज दिवस है पाँच सितम्बर, प्रिय गुरुवर, स्नेहिल गुरुवर। ज्ञान के सागर, पथ के प्रदर्शक,…
गुरु शिष्य का भाग्य विधाता - कविता - रमाकांत सोनी
क़िस्मत का ताला खुल जाता, गुरु शिष्य का भाग्य विधाता। ज्ञान ज्योति जगा घट घट में, अंतर्मन उजियारा लाता। शिल्पकार मानव निर्माता, शत् श…
शिक्षक दिवस - कविता - रतन कुमार अगरवाला
ज़िंदगी में सर्वप्रथम गुरु, हमारे माता पिता को नमन। उनके बाद आते शिक्षक, जिनका करूँ मैं अभिनंदन। “अ” से लेकर “अ:” तक, “क” से लेकर “ज्ञ”…
गुरु - कविता - डॉ॰ सत्यनारायण चौधरी
शिक्षक वह जो करें मार्ग प्रशस्त, जिसके सीख से अज्ञान हो अस्त। जीवन को मिलता नव संगीत, वही सद्चरित और उन्नति का मीत। गुरु ही तो होता है…
गुरु की महिमा - कविता - अभिषेक श्रीवास्तव 'शिवाजी'
गुरु गुण से से परिपूर्ण रहते ज्ञान का मार्ग बताते हैं, हमें सत्य के मार्ग में चलने को प्रेरणा सूत्र दिलाते हैं। हमारी ग़लतियों को सुधार…
अनन्त ज्ञान का भण्डार शिक्षक - कविता - गणपत लाल उदय
शिक्षक वही है जो सदमार्ग का रास्ता दिखाएँ, अंधकार से उभारे व ज्ञान का प्रकाश दिखाएँ। उसके मनमस्तिष्क में ज्ञान की ज्योति जलाएँ, और शिष…
नंद के नंदलाल - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
नंद के नंदलाल तुमने कियो कमाल, जन्म धरा पर लेकर किया सबका उद्धार। बिना दरस न राधा के न आँखे खोली कान्हा ने, बालपन मे माखन चोरी चकि…
भगवान् श्रीकृष्ण का अवतरण - गीत - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
पुनः अवतरण इस धरती पर, आश्रय केवल कृष्ण तुम्हारा। क्षरण हो रहा है संस्कृति का, स्वार्थमयी हैं सारे बंधन। ऐसी विषम परिस्थिति में प्रभु,…
सन्नाटे का शोर - कविता - रतन कुमार अगरवाला
मध्यम हो रहा शाम को सूरज, पसर रहा अंधियारा सनैः सनैः, हो रही एक अजीब सी शांति, जंगल चारो ओर घने-घने। पेड़ करे गूँज सायं सायं, सन्नाटे …
अगर दीवाने तेरे हम न होते - ग़ज़ल - धर्वेन्द्र सिंह
अरकान: मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन तक़ती: 1222 1222 122 अगर दीवाने तेरे हम न होते, हमारी ज़िंदगी में ग़म न होते। मगर जाने-जहाँ इक हम न …
रोटी की तलाश - कविता - पारो शैवलिनी
संसद अँधेरी गुफा बन गई है जहाँ से रोटी के लिए लगने वाली आवाज़, उसकी दीवार से टकरा कर वापस लौट आती है। सोचता हूँ वो कौन सी भाषा है, ज…
तुझसे इश्क़ इज़हार करेंगे - कविता - अंकुर सिंह
मिलन प्रिये जब तुमसे होगा, दिल की हम तुम बात करेंगे। नयनों से हम नयन मिलाकर, तुझसे इश्क़ इज़हार करेंगे।। इक दूजे का हाथ थाम हम, अपनी दिल…
राह संघर्ष की - कविता - शिवचरण सदाबहार
राह संघर्ष की तुझे, अकेला ही चलना होगा। कर्म की शाख पर तब ही खिल सकेंगे फूल, मेहनत के पानी से उसे सींचना होगा। निराशा में हाथों की लकी…
मुश्किलों में मुस्कुराना सीख ले - ग़ज़ल - अविनाश ब्यौहार
अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती: 2122 2122 212 मुश्किलों में मुस्कुराना सीख ले, और ख्वाबों को सजाना सीख ले। बेशरम है यदि यहाँ प…
नारी का नार्यत्व - कविता - डॉ॰ सत्यनारायण चौधरी
स्त्री का स्त्रीत्व, नारी का नार्यत्व, ममता का ममत्व, बहिन का अपनत्व, जो इन सबका जानते महत्त्व, हृदय में उनके बसता सत्त्व। गर यशोदा न …
कविता की सच्चाई - कविता - डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा
कविता मन से रची नहीं जाती, कविता कभी सीखी नहीं जाती। ह्रदय से उत्पन्न हुए भावों को, सिर्फ़ कलमबद्ध की जाती है। सुरम्य अल्फ़ाज़ों से शृ…
चेहरा जो देखूँ तेरा - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
चेहरा जो देखूँ तेरा, दिल धड़के धक धक मेरा, हरपल मैं देखूँ तेरा रास्ता, हर पल मैं देखूँ तेरा रास्ता। अँखियों में काजल तेरा, घनेरी ज़ु…
त्राहिमाम् - कविता - ममता मनीष सिन्हा
हे गिरिधर कृष्ण मुरारी आओ! अब मानवता त्राहिमाम् करे। वसुधा रो रही विकल व्याकुल, कौन जगपालक प्रमाण धरे? जग व्याकुल है, नर है व्याकुल, य…
पुकार रही वह द्रुपद सुता - कविता - राघवेंद्र सिंह
पुकार रही वह द्रुपद सुता हो रहा सभा में चीरहरण। लाचार हुए सब मूक बधिर नारित्व का हो रहा क्षरण। कल तक जो थी वह आभा आज भूमि पर गिरी पड…
पूनम की रैन - कविता - कर्मवीर सिरोवा
बांडी की तरह लगते ज़हरीले गोल गोल मटमैले सुनहरे श्याम कैश, आँखें ठहर जाएँ, खुली की खुली रह जाए, ऐसे दिल पर आघात करते तेरे नैन। लबों प…
राग के मधुर गीत सुनाए - गीत - कार्तिकेय शुक्ल
मुझको मुझसे दूर कर के और तुम क्यों पास आए? क्या इसी ख़ातिर तुमने राग के मधुर गीत सुनाए? सांध्य वंदन हो चुका था, मन निर्जन हो चुका था, र…
तस्वीर - कविता - प्रतिभा नायक
कुछ तस्वीरों में क़ैद लम्हें मुझे मेरी अमीरी का एहसास दिलाते हैं। एल्बम में क़ैद वो पल मेरी जागीर हैं, ख़ामोशियों में लफ़्ज़ और लफ़्ज़ों…
मैं आकाश बन जाऊँ - कविता - असीम चक्रवर्ती
जब मैं आकाश बनना चाहता हूँ, बन भी जाऊँ तो तुम मेघ बनकर मेरे छाती पर लोटपोट करना, तुम्हें धरती पर हरियाली दिखेगी, सभी मौसम बदलने का…