वंदन-अभिनन्दन करती हूँ,
बारम्बार नमन करती हूँ।
आज दिवस है पाँच सितम्बर,
प्रिय गुरुवर, स्नेहिल गुरुवर।
ज्ञान के सागर, पथ के प्रदर्शक,
ममता की मूरत हैं गुरुवर।
ध्वनि अक्षर का ज्ञान सिखाकर,
लक्ष्य की प्राप्ति कराते गुरुवर।
सूर्य-प्रभा की रश्मि सदृश तुम,
चहुँदिश ज्ञान के पुंज हो गुरुवर।
आदरभाव औ नैतिकता का,
पाठ पढ़ाते आप ही गुरुवर।
कुपथ मार्ग से सुपथ मार्ग की,
दिशा दृष्टि दिखलाते गुरुवर।
वंदन-अभिनन्दन करती हूँ,
बारम्बार नमन करती हूँ।।
दीपा पाण्डेय - चम्पावत (उत्तराखंड)