अगर दीवाने तेरे हम न होते - ग़ज़ल - धर्वेन्द्र सिंह

अरकान: मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
तक़ती: 1222 1222 122

अगर दीवाने तेरे हम न होते,
हमारी ज़िंदगी में ग़म न होते।

मगर जाने-जहाँ इक हम न होते,
तो भी दीवाने तेरे कम न होते।

अगर अश्कों के ये मरहम न होते,
तो दर्दे-दिल कभी भी कम न होते।

खुदाया काश! तेरे इस जहाँ में,
फ़कत़ ख़ुशियाँ ही होती ग़म न होते।

धर्वेन्द्र सिंह - भिवानी (हरियाणा)

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