अनन्त ज्ञान का भण्डार शिक्षक - कविता - गणपत लाल उदय

शिक्षक वही है जो सदमार्ग का रास्ता दिखाएँ,
अंधकार से उभारे व ज्ञान का प्रकाश दिखाएँ।
उसके मनमस्तिष्क में ज्ञान की ज्योति जलाएँ,
और शिष्य को जीने की एक नई राह दिखाएँ।।

इन शिक्षकों से मिलता अबोध बच्चों को ज्ञान,
नही होता ऐसा कोई संसार में शिक्षक समान।
यही होता मनुष्य जीवन का पहला प्रवेश द्वार,
शिक्षाएँ शिक्षकों से पाकर सब बनते है महान।।

अनन्त ज्ञान का होता है यह गुरुवर ही भण्डार,
जिस-जिसको पड़ा इनका डाँट डण्डे का मार।
वही हुआ सफल अपनें जीवन में हर एक बार,
करता है अपनें बच्चों के जैसा वो सबसे प्यार।।

शिक्षक का दर्जा होता‌ है संसार में सबसे ऊँचा,
महान संत, ईश्वर अवतार भी लिए इनसे शिक्षा।
कभी रोक-टोक कर आगें बढ़ना ही सिखाया,
कभी-कभी दी है सज़ा और ‌ली अनेंक परीक्षा।।

ये कुम्हार समान होते जो पकाते कच्चे घड़े को,
वैसे ही बच्चों को ज्ञान देकर जीवन संवार देते।
ब्लैक बोर्ड पर समझाकर काग़ज़ पर उतरवाते,
बालक बालिकाओं का भविष्य शिक्षक बनाते।।

गणपत लाल उदय - अजमेर (राजस्थान)

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