नंद के नंदलाल
तुमने कियो कमाल,
जन्म धरा पर लेकर
किया सबका उद्धार।
बिना दरस न राधा के
न आँखे खोली कान्हा ने,
बालपन मे माखन चोरी
चकित किया था कान्हा ने।
मईया यशोदा को तुमने जब
मुख मंडल मे भव सार दिया,
बड़े-बड़े दानव को
बचपन मे ही तार दिया।
प्रेम के बंधन को तुमने जब
राधा संग सखियों से बाँध लिया,
धर्म युद्ध कर जब तुमने
कौरव-पांडव का साथ दिया।
लड़े भूमि पर महाभारत
मानव धर्म साकार किया,
मानव मुक्ति का मार्ग दिया
परमब्रम्ह पर्मेश्वर ने जब रूप लिया।
कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी - सहआदतगंज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)