डॉ॰ कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव - जालौन (उत्तर प्रदेश)
मुख्य पृष्ठ
कविता
गुरु
बाल साहित्य
मेरे गुरुजी सबसे अच्छे - बाल कविता - डॉ॰ कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
मेरे गुरुजी सबसे अच्छे - बाल कविता - डॉ॰ कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
रविवार, सितंबर 05, 2021
आँखों मे चश्मा चमक रहा,
है गेहुँआ रंग।
धोती कुर्ता पहन कर आते,
अजब निराले ढंग।।
पतली छड़ी साथ वो लाते,
जब कक्षा में आते।
सब डर जाते देख छड़ी को,
दौड़ दुबक हम जाते।।
फिर कहते एक पाठ निकालो,
मोनू जरा पढ़ो तुम,
ध्यान कहाँ है प्यारे बच्चे,
क्यों बैठे हो तुम गुमसुम।।
मोनू भैया थर थर काँपे,
कुछ बोल ना पाए।
आँखों मे चमक सी आई,
सुब्रत सर जब आए।।
सुब्रत सर जब बोले सर से,
दूर छड़ी तुम फेंको।
अच्छे प्यारे बच्चे है ये,
फिर होशियारी देखो।।
सर बोले फेंक छड़ी को,
डर कर कभी पढ़ो मत।
अच्छी बातें अपना लो,
गंदे कामों की छोड़ो लत।।
कक्षा बिल्कुल सुधर गई,
जम कर नाम कमाया।
नाम हो गया मेरे सर का,
पुरुस्कार भी पाया।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर