कविता की सच्चाई - कविता - डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा

कविता मन से रची नहीं जाती, 
कविता कभी सीखी नहीं जाती।
ह्रदय से उत्पन्न हुए भावों‌ को, 
सिर्फ़ कलमबद्ध की जाती है।
सुरम्य अल्फ़ाज़ों से शृंगार कर,
कविता को अलंकृत की जाती है।।

कविता में इतनी ताक़त है कि,
वेदों की भी रचना हो जाती है।
इससे व्यक्ति और समाज तो किया,
सारा मानव का कल्याण हो जाता है।
सागर की तूफ़ानी लहरों को भी,
दो बूँद स्याही के शब्दों में बहा जाती है।।

कविता बखूबी अपना ‌रुप भी बदलती है,
बाद्य यंत्रों के साथ बड़ी सुरीली बन जाती ‌है।
और मंच में अपनी तीखी और हास्य रूपों से,
श्रोताओं का मन भी ख़ूब बहलाती है। 
जब यह अपने अतल रूप में आती है,
देश भक्तों में शक्ति जागृत कर जाती है।।

कविता शब्दों की‌ बहुत ‌सुलझी पंक्ति है,
जो सुनने में सबको बहुत अच्छी लगती है।
बड़ी से बड़ी बातें भी ऐसे कह जाती है, 
जो मन से ‌सीधे दिल में उतर जाती है।
इस युग में भी बहुत सार्थक है कविता,
अपने पद्य रुप से समय को बचाती है।।

कविता कहीं भी देशभक्ति में कम नहीं,
समय पड़ने पर वीरों के सम्मुख जाती है।
सेनानियों में देशप्रेम की हुंकार भर कर,
दक्ष दुश्मनों को भी छक्के छुड़ाती है। 
किसी भी देश का इतिहास रचने में,
कविता भी सदा अपना योगदान देती है।।

डॉ. रवि भूषण सिन्हा - राँची (झारखंड)

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