राह संघर्ष की - कविता - शिवचरण सदाबहार

राह संघर्ष की तुझे,
अकेला ही चलना होगा।
कर्म की शाख पर
तब ही खिल सकेंगे फूल,
मेहनत के पानी से
उसे सींचना होगा।

निराशा में हाथों की लकीरों को,
दोष देना नहीं।
मुश्किलों से भागेगा तू,
तो कभी सफल होगा नहीं।
टूटते हौंसलों के अँधेरों में तुझे,
दिया दृढ़ निश्चय का जलाना होगा।
राह संघर्ष की...

मीत, रिश्ते-नाते सब साथ छोड़ जाएँगे,
सिर्फ़ सत्य तेरा साथ निभाएगा।
कौन तेरा अपना है इस जहाँ में,
तू ख़ुद ही समझ जाएगा।
ज़िंदगी तजुर्बा है जीने का,
तुझे सीखना होगा।
राह संघर्ष की...

है जिस रास्ते में मुश्किल,
है रास्ता वो ही सही।
जो भागने लगे डरकर,
है सबसे बड़ा कायर वही।
ज़िंदगी इम्तिहान है,
तुझे देना होगा।
राह संघर्ष की...

परिश्रम की धूप में जो है चलता,
सफलता की छाँव उसी को है मिलती।
जो अनवरत लड़ता है मैदान-ए-जंग में,
जीत उसी को है मिलती।
हारने का जो डर है,
तुझे उसे निकालना होगा।
राह संघर्ष की...

शिवचरण सदाबहार - सवाई माधोपुर (राजस्थान)

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