गुरु की महिमा - कविता - अभिषेक श्रीवास्तव 'शिवाजी'

गुरु गुण से से परिपूर्ण रहते ज्ञान का मार्ग बताते हैं,
हमें सत्य के मार्ग में चलने को प्रेरणा सूत्र दिलाते हैं।

हमारी ग़लतियों को सुधार आगे बढ़ना सिखाते हैं,
गुरु की महिमा को प्रभु भी जग में महान बताते हैं।

गुरु होते हैं सरल छात्रों को स्वयं से ऊपर उठाते हैं,
शिखर तक पहुँचे, मंज़िल वह बच्चों को दिलाते हैं।

गुरु हमारे जीवन के कोरे काग़ज़ पर रंगीन बनाते हैं,
गुरु महान जो हमें स्वयं से भी ज़्यादा गुणी बनाते हैं।

कुल 5 बरस का था मैं, माँ ने मेरा हाथ शिक्षक को थमाया था,
तब मुझे पहली बार उन्होंने, द्वितीय गुरु का बोध कराया था।

प्रथम गुरु माँ होती जो बच्चे के लिए सब से लड़ जाती है,
माँ ही है वह जो अपने जीवन के अनुभव से जीना सिखलाती है।

अभिषेक श्रीवास्तव 'शिवाजी' - शहडोल (मध्य प्रदेश)

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