मुश्किलों में मुस्कुराना सीख ले - ग़ज़ल - अविनाश ब्यौहार

अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
तक़ती: 2122 2122 212

मुश्किलों में मुस्कुराना सीख ले,
और ख्वाबों को सजाना सीख ले।

बेशरम है यदि यहाँ पर आदमी,
इसलिए तूँ भी लजाना सीख ले।

बोरियत होती अगर है शाम से,
वायलिन पर धुन बजाना सीख ले।

तोहमत जो है लगाई शौर्य पर,
आँसुओं का है ख़ज़ाना सीख ले।

ज़िंदगी ज़िंदादिली से हम जिएँ,
तो चुनौती आजमाना सीख ले।

अविनाश ब्यौहार - जबलपुर (मध्य प्रदेश)

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