संदेश
जो जाता है उसे जाने दो - कविता - गणेश भारद्वाज
जो बीत गया सो बीत गया, अब बीता वक्त भुलाने दो। जीवन है आशा का दीपक, जो छोड़ गया उसे जाने दो। बीते से जो सीखा मैंने, नव क्यारी में उपजा…
आश - कविता - वृन्दा सोलंकी
तारे देखो अँधेरी रात के उन्हें पता है अँधेरा है पास में फिर भी वो चमकते है उजाला देने की आश में फूलो को देखो बाग़ में मुरझा जाएँगे समय …
अपराध बोध की व्यथा - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति
पिटे जाने की ग्लानि अपराध-बोध की व्यथा; पुरे माहौल को पीड़ा से भर देती है सुख की मटमैली चादर पूरे वजूद को जकड़ लेता है ज़ंजीर की तरह जीने…
क्या ख़ूब सजा मंदिर देखो - गीत - महेश कुमार हरियाणवी
क्या ख़ूब सजा क्या ख़ूब सजा क्या ख़ूब सजा मंदिर देखो अब अपने श्री राम का। सब जन लेकर साथ चले जो उन कर्मो के काम का॥ क्या ख़ूब सजा, अब अपने…
राम जी अवध में आए - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
राम जी अवध में आए आज झूमो गाओ रे, होली दिवाली आज संग-संग मनाओ रे। दिल के दिये आज दिल से जला दो रे, चारों ओर रोशनी से अँगना सजा दो रे। …
कृष्ण अर्जुन संवाद - कविता - सुनील गुप्ता
युद्ध में अपनों को देख, अर्जुन का गाण्डीव थम गया, बालक की भाँति रोता देख, सारा पांडव दल सहम गया। लड़खड़ाते पैरों के सहारे, रथ पर वह वि…
अस्मिता - कविता - डॉ॰ अबू होरैरा
कौन हो बे तुम? पसमांदा मुसलमान हैं साहब अबे कौन सी जात से हो अन्सारी हैं साहब ओह्ह... जुलाहा हो! जी साहब। आपके तन को ढँकने वाला मेहनत…
चमेली - कहानी - भूपेंद्र सिंह रामगढ़िया
एक छोटे से शहर के एक सरकारी दफ़्तर में एक कोने में एक बेंच पर एक 60 वर्षीय बूढ़ा व्यक्ति रामलाल किसी चिंता में ध्यानमग्न सा बैठा था। उस…
बोलो जय श्री राम - गीत - सुशील कुमार
मर्यादा पुरुषोत्तम आए देखो अपने धाम सब जन मिलकर बोलो जय श्री राम दुल्हन जैसी सजी अयोध्या दर्शन को ललसाई राम मिलन की पावन बेला सदियों …
प्रेम के रूप अनेक - सरसी छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
लेकर हाथ चाय का प्याला, खड़ी नारि सुकुमारि। खन-खन बाजे चूड़ी कंगन, पद पैजनि झंकारि॥ कमर बाँध स्वर्णिम करधनियाँ, बाजु बंद सरकार। नाक नथु…
गाँव - कविता - संजय राजभर 'समित'
शाम होते ही अँधेरा छा जाता था कच्ची सड़कें बरसात में चलना मुश्किल होता था रात में उमस और मच्छर खाने के लाले फटे पुराने कपड़े रिसता छप्…
आतुर हृदय - कविता - प्रवीन 'पथिक'
फिर एक कसक उठी है; हृदय के किसी कोने से। कब आओगे मुझसे मिलने? आलिंगन में भरने को। शांत पड़ गया था अंधड़, डूब गया ख़ामोशी के साए में। प…
यायावर तेरा धन्य त्याग - कविता - राघवेंद्र सिंह
छाया अम्बर में विशद राग, यायावर तेरा धन्य त्याग। वातायन खोले खड़ी प्रकृति, दर्पण सी दिखती नवल कृति। केशों का गुंथन खुला आज, आया परिवर्…
यार रखना तो यार पुराने रखना - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी
चाहे साथ अपने ज़माने रखना यार रखना तो यार पुराने रखना वो बचपन का साथी न भूले कभी भी झूठों का डेरा कुछ उसमें सही भी याद बिसरे नहीं उसको …
प्रेम - सवैया छंद - सुशील कुमार
प्रेम न होत जो भ्रात को भ्रात से तौ पद त्राण न राज चलाते। प्रेम न होत जो भक्त से ईश को तौ शबरी फल जूठ न खाते॥ प्रेम न होत जो राम को सी…
जीवन क्या है - कविता - रूशदा नाज़
माँ घर की ज़िम्मेदारियाँ निभाती देर रात वह थक कर सोती तब समझ आया जीवन क्या है पिता घर से दूर रहता, या सुबह जाता शाम आता उसके संघर्षों …
प्रेम - कविता - रोहित सैनी
प्रेम! धूप है हमारे चेहरे की... सितारों की जग-मगाहट, जिसमें... सब कुछ सुंदर दिखता है शीतल, शांत, मद्धम रौशनी है चाँद की। प्रेम... हमार…
चौबीस शुभ संदेश ध्येय हो - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
करें विदाई तेइस अतीत, जी 20 भारत कीर्ति गढ़ा हो। स्वागत है नववर्ष तुम्हारा, सुखद प्रगति उल्लास नया हो। सुख नया साल परिपेक्ष्य नए, हो न…
नव वर्ष की पावन वेला - कविता - अजय कुमार 'अजेय'
नव वर्ष की पावन वेला, शुभ संदेश सुनाती है। भगा तम अंतर्मन से, नव प्रभाती गाती है। उदित शिशिर लालिमा, धुँध परत हटाती है। किंतु ठिठुरन-क…
नव वर्ष का स्वागत - कविता - मयंक द्विवेदी
सुधी मन के दृष्टि पटल पर, उभरती चलचित्र सी रेखा। स्मृति साकेत में सँजोती, सहेजे विगत वर्ष की लेखा। विसर्जित वर्ष हो पुरातन, दहलीज़ पर न…
नवल वर्ष का नव प्रभात - गीत - उमेश यादव
समय ले रहा अंगड़ाई, नव सृजन हेतु जुट जाना है। नवल वर्ष के नव प्रभात में, जगना और जगाना है॥ दिव्य चेतना आतुर हैं, अनुदान प्रचुर बरसाने …
गए साल का सलाम - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'
गए साल का सलाम नए साल का सलाम जिसने मेरे दिल को तोड़ा जिसने मुझसे मुँह को मोड़ा जिसने मुझको तन्हा छोड़ा जिसने मेरा साथ न छोड़ा हर साहब…
नव वर्ष प्रण - कविता - राजेश 'राज'
आने वाले पलों का इंतज़ार भी है, पर गुज़रे हुए पल भी याद आते हैं कभी-कभी। पल-पल को हम क्यों गिनें इस तरह, यह तो पानी की तरह बह जाते हैं स…
नव वर्ष पर शुभकामनाएँ - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
नव वर्ष पर शुभकामनाएँ आपको शत-शत नमन। लक्ष्य पथ मिलना सुनिश्चित दु:ख का होगा शमन। दीप मालाएँ जलेंगी सम्पत्ति सुख का आगमन। ईश मेरी प्रा…
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