जीवन क्या है - कविता - रूशदा नाज़

जीवन क्या है - कविता - रूशदा नाज़ | Hindi Prerak Kavita - Jeevan Kya Hai - Rushda Naaz. Hindi Poem On Life. जीवन पर कविता
माँ घर की ज़िम्मेदारियाँ  निभाती
देर रात वह थक कर सोती
तब समझ आया
जीवन क्या है
पिता घर से दूर रहता, या
सुबह जाता शाम आता
उसके संघर्षों भरे ज़िन्दगी ने सिखाया
जीवन क्या है
तन्हा बैठे बुज़ुर्गों के पास बैठी मैं
उनकी खिलखिलाती हँसी ढेरों तजुर्बे ने सिखाया
जीवन क्या है
कुछ लोगों को लीन देखा कामों में
मुस्कुराते संघर्षों में भी
उनकी आशाओं ने सिखाया
जीवन क्या है
निराश लोगों के अधरों पर मुस्कुराहटें देखी
जब मेरा अंतर्मन ख़ुश हुआ
तब समझ आया
जीवन क्या है
ठोकरें खाकर नए अनुभव मिलें
इन ठोकरों ने सिखाया
जीवन क्या है
पक्षियों की चहचहाटे,
तितलियों की उड़ानें
झूमते पत्ते, बहती हवाएँ
निकलते सूर्य ने सिखाया
जीवन क्या है
कल-कल करती नदियाँ
बहती लहरें
देख मन जब शान्त हुआ
बुनते-बिगड़ते सपने जागे
कभी बुनते, कभी बिगड़ते
भीतर के द्वंद ने सिखाया
जीवन क्या है
फिर, मेरे अनुभव जड़े
और, जुड़ते चले गए
फिर मैंने पाया
एक सुंदर सा जीवन


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