नव वर्ष की पावन वेला - कविता - अजय कुमार 'अजेय'

नव वर्ष की पावन वेला - कविता - अजय कुमार 'अजेय' | New Year Kavita - Nav Varsh Ki Paavan Vela | नववर्ष पर कविता, Hindi Poem On New Year
नव वर्ष की पावन वेला,
शुभ संदेश सुनाती है।
भगा तम अंतर्मन से,
नव प्रभाती गाती है।
उदित शिशिर लालिमा,
धुँध परत हटाती है।
किंतु ठिठुरन-कंपन से,
तन को शीत सताती है।
किंतु-परंतु से भटकन,
अंतःकरण में आती है।
फिर भी भाव प्रखरता से,
नव लेखन रच जाती है।
आशा और आकांक्षाएँ,
मन को अधीर बनाती है।
किंतु 'सर्वे भवन्तु सुखना'
गुनगुनी प्रभाती गाती है। 
खट्टी-मीठी यादों में,
साल बीती जाती है।
नव वर्ष पावन वेला में,
भीनी सुगंध प्रभाती है।


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