मयंक द्विवेदी - गलियाकोट, डुंगरपुर (राजस्थान)
नव वर्ष का स्वागत - कविता - मयंक द्विवेदी
सोमवार, जनवरी 01, 2024
सुधी मन के दृष्टि पटल पर, उभरती चलचित्र सी रेखा।
स्मृति साकेत में सँजोती, सहेजे विगत वर्ष की लेखा।
विसर्जित वर्ष हो पुरातन, दहलीज़ पर नव वर्ष की बेला।
नव वर्ष की नवल किरणें, लगा रही उम्मीद का मेला॥
स्मरण नव वर्ष के संकल्प, स्मरण विगत वर्ष के पलछिन।
साकार हो सपन सब, सजृन नव विलक्षण मुमकिन।
उदित हो भास्कर सुख के, मुदित हो चन्द्र सा आनन।
बसे हो हृदय में शिवालय, हो कर्म सतकर्म के साधन॥
लिए हो जो मनुज जीवन, मनुज का मनुज से हो समर्पण।
नयापन नव वर्ष से हो तो दे रहा गत वर्ष भी अनुभव।
त्रुटियों से सबक लेकर, कसौटी नव वर्ष को परखना।
अलविदा गत वर्ष को कहना, आलिंगन नव वर्ष का करना।
नमन गत वर्ष को करके, करे नव वर्ष का स्वागत॥
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