गए साल का सलाम - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'

गए साल का सलाम - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू' | New Year Kavita - Gaye Saal Ka Salaam. Hindi Poetry On New Year. नए साल पर कविता
गए साल का सलाम
नए साल का सलाम

जिसने मेरे दिल को तोड़ा
जिसने मुझसे मुँह को मोड़ा
जिसने मुझको तन्हा छोड़ा
जिसने मेरा साथ न छोड़ा
हर साहबान को सलाम
गए साल का सलाम
नए साल का सलाम

झूठ बोले जो उन सारे सच्चों को
मासूम नन्हें-नन्हें प्यारे बच्चों को 
कलियों और फूलों के गुच्छों को
हर बाग़बान को सलाम
गए साल का सलाम
नए साल का सलाम

इस देश की उम्मीदों को जगाकर
लहू में रखना एक आग जलाकर
हम पीछे नहीं हटेंगे सर झुकाकर
हर जज़्बा वान को सलाम
गए साल का सलाम
नए साल का सलाम


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