नवल वर्ष का नव प्रभात - गीत - उमेश यादव

नवल वर्ष का नव प्रभात - गीत - उमेश यादव | New Year Geet - Naval Varsh Ka Nav Prabhaat - Umesh Yadav. नव वर्ष पर गीत/कविता। Hindi Poetry On New Year
समय ले रहा अंगड़ाई, नव सृजन हेतु जुट जाना है।
नवल वर्ष के नव प्रभात में, जगना और जगाना है॥

दिव्य चेतना आतुर हैं, अनुदान प्रचुर बरसाने को।
देव शक्तियाँ साहस भरतीं, भू को स्वर्ग बनाने को॥
युग प्रभात की नववेला में, मिलकर क़दम बढ़ाना है।
नवल वर्ष के नव प्रभात में, जगना और जगाना है॥

सदियों से फैली अनास्था, श्रद्धा से उसको पाना है।
वैभवशाली परम्परा को, फिर से अब दुहराना है॥
कलि के तमस हटा जगती में, नवरश्मियाँ उगाना है।
नवल वर्ष के नव प्रभात में, जगना और जगाना है॥

अवसाद नहीं उल्लास भरें, हर मानव के चिंतन में।
उत्सव से उत्कर्षो का, संकल्प उभारे जन मन में॥
लक्ष्य प्राप्ति के लिए उमंगों, से नवसुपथ बनाना है।
नवल वर्ष के नव प्रभात में, जगना और जगाना है॥

अरुणोदय की वेला है अब, शुभअवसर को पहचानें।
समय कश्मकश में न गवाएँ, तत्पर हों नवयुग लानें॥
यह अमूल्य है वक्त आज का, वोध ज्ञान का पाना है।
नवल वर्ष के नव प्रभात में, जगना और जगाना है॥

संपूर्ण समर्पण गुरुसत्ता को, लक्ष्यों पर संधान करें।
लक्ष्य प्राप्ति का बोध हमें हो, संतुष्टि का भान करें॥
युग परिवर्तन की वेला है, युगशिल्पी बन जाना है।
नवल वर्ष के नव प्रभात में, जगना और जगाना है॥

उमेश यादव - शांतिकुंज, हरिद्वार (उत्तराखंड)

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