संदेश
ब्रज का राज दुलारा - गीत - कमल पुरोहित 'अपरिचित'
इठलाए मैया की गोदी, ब्रज का राज दुलारा। ऐसा दृश्य मनोहर था, लगा आँख को प्यारा॥ चोरी-चोरी चुपके-चुपके, माखन खाते जाते, टुकुर टुकुर मै…
कृष्ण - गीत - उमेश यादव
प्रेम मगन मनमोहना, छवि प्रभु की प्यारी। दूर करो कष्ट सोहना, केशव गिरधारी॥ पग ठुमक ठुमक प्रभु चलिहें। पद नूपुर छूमक करि बजिहें॥ मन …
मैं कान्हा बोल रहा हूँ - कविता - अनूप अंबर
लोग मुझे कहते हैं कान्हा मुरलीधर श्याम, लेकिन मेरा जीवन था बिल्कुल न आसान। जन्म से पहले मेरी, मृत्यु के विधान बने, मेरे ख़ुद के मामा, म…
अंशुमाली उन्हीं की चरण वंदना है - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
प्राण फूँके हैं जिसने सघन चेतना के, अंशुमाली उन्हीं की चरण वंदना है। कलम को पकड़ कर अक्षर बनाए, फिर वर्णमाला जिसने सिखाई। पास में बैठ …
गुरु - कविता - विनय विश्वा
गुरु वहीं जो ज्ञान बताए भटके हुए को राह दिखाए जीवन मिले ना फिर ये कभी हर मोड़ पर जीवटता सिखाए गुरु वहीं जो ज्ञान बताए मुर्दे में भी जा…
शिक्षक - कविता - सूर्य प्रकाश शर्मा
बिना शिक्षकों के, कैसे होता इतिहास हमारा? क़दम-क़दम पर शिक्षक द्वारा लिखा अतीत ये सारा॥ शिष्य, शिक्षकों के निर्देशों पर जब पग-पग चलते।…
एक शिक्षक होना कहाँ आसान है - कविता - सुशील शर्मा
शिक्षक सिर्फ़ शिक्षक नहीं होते वो होते हैं जिन्न वे एक साथ कई भूमिकाएँ निभाते हैं। जब खिलखिलाते हैं तब वे होते हैं मित्र डाँटते हैं तो …
गुरु - कविता - इन्द्र प्रसाद
गुरुदेव तब वाणी अमृत समान है। यही कहती है गीता कहता कुरान है॥ ऐसा नहीं कोई जिसका गुरु न हो, गुरुदेव के बिना जीवन शुरू न हो। पहली ग…
शिक्षक और समाज - कविता - गणेश भारद्वाज
राष्ट्र को आशाएँ हैं मुझसे, खरा उन पर उतरना है मुझे। ढाँचा जो हो चुका है जर्जर, धीरे-धीरे कुतरना है मुझे। मुझे करना है निर्माण सभ्य सम…
शिक्षक की कलम से - कविता - राजेश 'राज'
बच्चों तुम विश्वास जगाओ, तुम ही भविष्य के फल हो। बोस, खुराना तुम में छिपे हैं, कल के न्यूटन तुम्ही प्रबल हो। अंतस में उम्मीदें बोक…
गुरुजी को नमन - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'
मनुज श्रेष्ठ मुझमें बसाने की ख़ातिर ख़ुद को दिए सा जलाते है वो हम सबको गुरुतर बनाने की ख़ातिर नई राहें हर पल दिखाते है जो माटी से मूरत ब…
शिक्षक दिवस - कविता - पुनेश समदर्शी
शिक्षक दिवस पर प्यारे बच्चों देना ये उपहार, जातिवाद से ऊपर उठकर करना मानव व्यवहार। छुआछूत और भेदभाव में कभी नहीं उलझना, मानव-मानव एकसम…
शिक्षक - कविता - देवेंद्र सिंह
गुरुओं को सत सत है प्रणाम, शिक्षक का भी अभिनन्दन है। राह दिखाते हैं सबको, उन महामहिम का वंदन है॥ बिन शिक्षक ज्ञान सदा सूना, उपमा …
मैं शिक्षक निर्माणक हूँ - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
शिक्षण हेतु बना मैं शिक्षक, नीति रीति पथ परिपोषित हूँ। नव जीवन नवयुग आधानक, मैं नित शिक्षक निर्माणक हूँ। विनयशील हो त्याग समन्वित नवयु…
शब्दनाद - कविता - सुशील शर्मा
करो कितना ही उपहास मेरा, नहीं तोड़ूँगा अपना मौन। न अपनी संवेदनाओं को करूँगा विस्मृत, न ही अनुवादों में जीकर, मूल को भूलूँगा। मैं रचत…
नारी - कविता - सूर्य प्रकाश शर्मा
ईश्वर की अनुपम, अद्भुत कृति, हे सावित्री! सीता, हे सती! हो रानी लक्ष्मी बाई तुम, काली बनकर के आई तुम॥ परहित करने वाली देवी, वीरों…
उम्मीद की टहनी - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति
धीरे-धीरे हम बढ़ रहे हैं गंतव्य की ओर लेकिन आशा के विपरीत हमारी उपस्थिति को अनदेखा कर दिया जा रहा है स्वयं को नकारा जाना, जीवन से भटक …
हमारी सेना शान हमारी - कविता - गणेश भारद्वाज
हम भारत के सब वासी हैं, सेना अपनी हमको प्यारी। अदम्य शौर्य की प्रतिमूर्ति, इससे ही है शान हमारी। इस सेना के कारण ही हम, रातों को सुख स…
ज़िंदगी इक खेल है - कविता - इन्द्र प्रसाद
ज़िंदगी इक खेल है अनुपम खिलौना चाहिए। सुख यहाँ पर हो न हो पर दुख होना चाहिए॥ फूल भी हैं शूल भी जीवन सरीखे बाग़ में, हम उन्हीं के मध्य जी…
दीवारों से कान लगाकर बैठे हो - ग़ज़ल - डॉ॰ राकेश जोशी
अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा तक़ती : 22 22 22 22 22 2 दीवारों से कान लगाकर बैठे हो, पहरे पर दरबान लगाकर बैठे हो। इसस…
सलामती - कहानी - डॉ॰ अबू होरैरा
[1] साड़ी का कारोबार दिन-ब-दिन ठप्प होता जा रहा था। एक के बाद एक लूम बन्द होते जा रहे थे। मज़दूर बुनकर अपना हुनर छोड़, विवश होकर दूसरे रो…
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