ज़िंदगी इक खेल है - कविता - इन्द्र प्रसाद

ज़िंदगी इक खेल है - कविता - इन्द्र प्रसाद | Hindi Life Kavita - Zindagi Ik Khel Hai - Indra Prasad. Hindi Poem On Life. ज़िंदगी पर कविता
ज़िंदगी इक खेल है अनुपम खिलौना चाहिए।
सुख यहाँ पर हो न हो पर दुख होना चाहिए॥

फूल भी हैं शूल भी जीवन सरीखे बाग़ में,
हम उन्हीं के मध्य जीते हैं भरे अनुराग में। 
फूल का भी काम अपना शूल का भी काम है,
धैर्य तपता है यहाँ पर कष्ट रूपी आग में।
गर तुम्हें है कुछ पाना कुछ खोना चाहिए॥

दुख में ही जान पाते कौन अपना है यहाँ,
सुख अगर हो साथ तो फिर लोग कम होते कहाँ।
दीर्घ लगती दुख की आयु है इस संसार में,
बीत जाता समय पल में सुख होता है जहाँ।
सुख-दुख मन की दशाएँ, ज्ञान होना चाहिए॥

इंद्र प्रसाद - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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