गुरुओं को सत सत है प्रणाम,
शिक्षक का भी अभिनन्दन है।
राह दिखाते हैं सबको,
उन महामहिम का वंदन है॥
बिन शिक्षक ज्ञान सदा सूना,
उपमा में वो सबसे आगे।
सत, समाज को दिखा रहे,
ज्यों माला में रहते धागे॥
ख़ुशबू बिखेरते चहुँओर,
रहते हैं शांत स्वरूप सदा।
अन्याय विरोधी शिक्षक हैं,
विकराल रूप भी कदा-कदा॥
शिक्षक गण को है प्रणाम,
नत मस्तक है तव चरणों में।
'देवेंद्र' न कोई भूमि पटल,
यश गान करे निज वरणों में लल॥
देवेन्द्र सिंह - ग्वालियर (मध्य प्रदेश)