बच्चों तुम विश्वास जगाओ,
तुम ही भविष्य के फल हो।
बोस, खुराना तुम में छिपे हैं,
कल के न्यूटन तुम्ही प्रबल हो।
अंतस में उम्मीदें बोकर,
अपने सपनों के सूर्य उगाओ।
आलोक भरो संपूर्ण जगत में,
ख़ुद अद्भुत पद चिन्ह बनाओ।
अर्जित मान-सम्मान करो तुम,
स्वयं पथ प्रदर्शक बन जाओ।
तुम सचमुच होनहार बहुत हो,
ज्ञानदीप बनकर झिलमिलाओ।
वायु का रुख करो मुताबिक़,
नदियों की तुम दिशा बदल दो।
उदधि सी भर प्रचंड गर्जन,
वारिद को तुम धार नवल दो।
रहो आशाओं से लबरेज़ सदा,
बाधाएँ ठोकर से चूर करो।
दृढ़ होकर लक्ष्य भेद डालो,
सब संशय उर के दूर करो।
राजेश 'राज' - कन्नौज (उत्तर प्रदेश)