गुरु - कविता - विनय विश्वा

गुरु - कविता - विनय विश्वा | Hindi Kavita - Guru - Vinay Vishwa. Hindi Poem On Teacher. शिक्षक पर कविता
गुरु वहीं जो ज्ञान बताए
भटके हुए को राह दिखाए
जीवन मिले ना फिर ये कभी
हर मोड़ पर जीवटता सिखाए
गुरु वहीं जो ज्ञान बताए
मुर्दे में भी जान लाए
ज्ञान ज्ञान ज्ञान
तू है मेरी जान।
शब्दों की है ना कारीगरी
है तो यह मेरी ज़मीं
बुद्ध की धरती से हैं हम
सगरी करुणा की गगरी हैं हम
मानव यहीं मानव हुए
अंगुलिमाल से आनंद हुए
सिद्धों-नाथो, पूरब-पश्चिम
की यह भाषा हुए
ज्ञान ज्ञान ज्ञान
बिन गुरु है
कहाँ ज्ञान
जान जान जान
ख़ुद को ही तू जान
मान मान मान
अप्प दीपो ज्ञान
अप्प दीपो ज्ञान।


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