गुरु - कविता - इन्द्र प्रसाद

गुरु - कविता - इन्द्र प्रसाद | Hindi Kavita - Guru - Indra Prasad. Hindi Poem On Teacher. गुरु पर कविता
गुरुदेव तब वाणी अमृत समान है। 
यही कहती है गीता कहता कुरान है॥ 

ऐसा नहीं कोई जिसका गुरु न हो, 
गुरुदेव के बिना जीवन शुरू न हो। 
पहली गुरु माता होती महान है॥ 

गुरुदेव सा जग में कोई नहीं दूजा, 
संसार करता है गुरुदेव की पूजा। 
गुरुदेव इस जग में प्रभु से महान है॥ 

प्रभु रूठ अगर जाए गुरुदेव सहारा है, 
गुरुदेव कहीं रूठे प्रभु भी ना हमारा है। 
गुरु की कृपा से होता सबका कल्याण है॥ 
 
हम सब करें अपने गुरुदेव का वंदन, 
गुरु के चरण कमल की धूल है चंदन। 
गुरु की कृपा से आगे बढ़ता जहान है॥ 

इंद्र प्रसाद - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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