संदेश
माँ देवकी की वेदना - कविता - शालिनी तिवारी
देवकी के सुन नैनों में फिर उठी, हुक कान्हा के दरस की, एक बार दिखला दे कोई झलक, एक हर बीते बरस की। पहले उसकी मुस्कान थी कैसी, कैसे आँखो…
माँ - दोहा छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
माँ को पूजिय रे मना धरि चरनन में शीश। सफल होय जीवन मनुज देहिं ईश आसीस॥ माता की रज माथ धरि बड़े बनत हैं लोग। आशिष ऐसो कवच है भागैं दुःख…
तेरी दावत में गर खाना नहीं था - ग़ज़ल - डॉ॰ राकेश जोशी
अरकान : मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन तक़ती : 1222 1222 122 तेरी दावत में गर खाना नहीं था, तुझे तंबू भी लगवाना नहीं था। मेरा कुरता पुराना…
तीज का त्यौहार - कविता - महेश कुमार हरियाणवी
शिव गौरा का मिलन पुनः, पावन प्रेम का द्वार है। छम-छम-छम मेघ पुकारे, ये तीज का त्यौहार है। ऊँचे-ऊँचे झूलों पर, झूली लचकतीं डाल हैं…
आठ पहर - कविता - प्रदीप सिंह 'ग्वल्या'
एक पहर खुली आँखों से सपना तुम्हारा अगले पहर यादों की झाँकियाँ, एक पहर शुद्ध लिखता जाता तुम्हें, अगले पहर ढूँढ़ू उसमें ग़लतियाँ। एक पहर…
साथ मुश्किल में भला कौन दिया करता है - ग़ज़ल - सुशील कुमार
अरकान : फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1122 1122 22 साथ मुश्किल में भला कौन दिया करता है, ज़ख़्म भर जाए यहाँ कौन दुआ क…
करो! जिस लिए आए हो - लघुकथा - ईशांत त्रिपाठी
आज छह मासीय वैदिक गणित प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम संपन्न होने के अंतिम चरण में है; यानी परीक्षा हो रही है। चूँकि वैदिक गणित विषय है इसलिए वै…
ऐ ज़िंदगी! तू सहज या दुर्गम - कविता - श्याम नन्दन पाण्डेय
सही कहती थी अम्मा (मेरी माँ)– यूँ बात-बात पर ग़ुस्सा ठीक नहीं। इक दिन तो बढ़नी से पीटा गया। अपनी मर्ज़ी से ज़िंदगी नहीं चलती, झुकना और सहन…
सावन को आने दो - कविता - मयंक द्विवेदी
पतझड़ की अग्नि में जल जाने दो, विरह वेदना के स्वर गाने दो, हर शाख़-शाख़ हिसाब लेगी, समय सावन का आने दो। पर्ण-पर्ण छिन्न हो तो हो, शाख़-शा…
एक नई दिशा - कविता - प्रिती दूबे
हौसलों के पंख लगाकर, एक नई दिशा की ओर बढ़ो। सफलता की ऊँचाइयों को छूकर, एक नया समाज गढ़ो। तुम नहीं हो बेटों से कम, तुममे भी है हिम्मत औ…
तुम्हारा प्रेम - कविता - प्रवीन 'पथिक'
भावनाओं की उधेड़बुन में, मेरे दुर्बल मन को; विचारों की आँधी में तुम्हारा प्रेम; अपनी आग़ोश में ले तृप्त कर देता उफनती वासनाओं को। चाहत …
आज़ादी - मुक्तक - इन्द्र प्रसाद
गगन साक्षी शहीदों का मिली कैसे है आज़ादी। चूम फंदे लिए हंँसकर बढ़ाकर बाँह फौलादी। वतन की यज्ञशाला में बनाया हव्य शीशों का, शहीदों के अथक…
मैं भारत की स्वतंत्रता हूँ - कविता - राघवेंद्र सिंह
मैं विमुक्त, नव दिनकर जैसी, मैं भारत की स्वतंत्रता हूँ। नवल दिवस, नव उद्घोषित रव, सप्त सरित की पवित्रता हूँ। मुझमें जन-जन शुभेषणा है,…
सारे जग से प्यारा भारत - कविता - राहुल सिंह 'शाहावादी'
सारे जग से प्यारा भारत, यह सतियों का देश महान। उपजी जहाँ असंख्य शक्तियाँ, परिचित हैं सब देश जहाँन॥ जहाँ जान दी पद्मिनियों ने, कर्म न थ…
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - निबंध - भारतेंदु हरिश्चंद्र
आज बड़े आनन्द का दिन है कि छोटे से नगर बलिया में हम इतने मनुष्यों को एक बड़े उत्साह से एक स्थान पर देखते हैं। इस अभागे आलसी देश में जो क…
पन्द्रह अगस्त - त्रिभंगी छंद - संजय राजभर 'समित'
आ जोड़ ले हस्त, पन्द्रह अगस्त, शुभ दिन अपना, आया है। स्वतंत्रता का दिन, शहीद अनगिन, तब जाकर यह, पाया है। ऑंखें भर आती, याद दिलाती,…
राष्ट्र प्रेम - कविता - राजेश 'राज'
सब भारत माँ के सपूत हैं, जाति धर्म में न बँट पाएँ। भारत माता की जय बोलो राष्ट्रधर्म हित सब जुट जाएँ। अनेकता में भरके एकता, जन जन गर्वि…
काला पानी - कविता - अनूप अंबर
काला पानी सुनो कथा काला पानी, आज़ादी के ख़ातिर दे दी अपनी क़ुर्बानी। नमन आज करते हम उनको, जिनको लेखनी न लिख पाई। गुमनाम फाँसी पर झूल गए, …
छाप देते चरण निज जो - कविता - रमेश चन्द्र यादव
छाप देते चरण निज जो, काल के कपाल पर। थिरकते है पग जिनके, ताण्डव की सुरताल पर। नमन करती लेखनी जो, लिखते जय भाल पर। माताएँ गर्व करती सदा…
यह जो स्वतंत्रता दिवस है - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
यह जो स्वतंत्रता दिवस है। कितने जीवन भूनने पर, और कितने घर फूँकने पर, दृशित यह वरदान हुआ। सुभाष की आशा का, बिस्मिल की भाषा का। गुंजित …
देशभक्त है हम भारत के - कविता - गणपत लाल उदय
हिम्मत व हौसला रखतें है हम भारतीय नौजवान, इसी का नाम है ज़िन्दगी चलते-रहते वीर जवान। निराशा की कभी ना सोचते और नहीं खोते आस, सिर ऊपर प…
आज़ादी - कविता - गणेश भारद्वाज
आओ मिलकर नमन करें हम, माँ भारत के उन हीरों को। राष्ट्र हित बलिदान हुए जो, आज़ादी के उन वीरों को। भारत को सकल बनाने की, सर्व प्रथम जिसन…
पन्द्रह अगस्त - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
पन्द्रह अगस्त की पावन वेला झण्डा गृह फहराओ, वीर शहीदों की समाधि में जा घृत दीप जलाओ। उठो 'अंशुमाली' बोलो तुम जय-जय भारत माता– …
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