शालिनी तिवारी - अहमदनगर (महाराष्ट्र)
माँ देवकी की वेदना - कविता - शालिनी तिवारी
रविवार, अगस्त 20, 2023
देवकी के सुन नैनों में फिर उठी, हुक कान्हा के दरस की,
एक बार दिखला दे कोई झलक, एक हर बीते बरस की।
पहले उसकी मुस्कान थी कैसी, कैसे आँखों में झलकी थी,
खिलखिला के वह हँसा होगा, या हँसी लबों पे हल्की थी।
घुटनों पर कैसे चलता होगा, कभी डाली मुख में मिट्टी होगी,
और उठा क़दम जो पहले होगा, लहर ख़ुशी की दौड़ी होगी।
ठुमक-ठुमक चलता होगा, पाँव में पायल बाजी होगी,
मनमोहन कितना वो दृश्य होगा, नज़र तो किसी ने उतारी होगी।
यशोदा को जब माँ बोला होगा, कितना प्रसन्न वो हुई होगी,
बाहों में भर के कान्हा को, कुछ देर तो वो रोई होगी।
सुना है रूप है अलौकिक उसका, छवि उसमें किसकी होगी,
वासुदेव के जैसा दिखता होगा, या छाया मेरी झलकी होगी।
कहते है नटखट बड़ा है वो, तंग यशोदा जो आई होगी,
कुछ दंड दिया होगा उसको, या फिर छड़ी उठाई होगी।
मुख पे माखन लगे हुए, कोई गोपी जो पकड़ लाई होगी,
ग़ुस्सा आया होगा उसपर, या मंद हँसी लब पे आई होगी।
पहली बार जो उसने मुख से, बंसी पे तान सुनाई होगी,
क्या आनंद मिला होगा, वो तो फूली न समाई होगी।
इन्ही कल्पनाओं के बल पर, यह माँ उसकी जीती होगी,
कभी तो उसको पता चलेगा कि, क्या मुझ पर बीती होगी।
मेरे हिस्से में यह सब न था, यशोदा यह तपस्या तेरी थी,
जो मिला तुझे कान्हा का सुख, और ये तड़प ही क़िस्मत मेरी थी।
जीती हूँ इसी आशंका में, कभी यह बात जो उस तक जाएगी,
की जन्म दिया था मैंने उसको, तब क्या उसे याद मेरी भी आएगी।
आएगा जिस दिन सामने मेरे, बेला ही जाने कैसी होगी,
छाती से लगा के उसको अपनी मुझे प्राप्ति मोक्ष जैसी होगी।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर