एक नई दिशा - कविता - प्रिती दूबे

हौसलों के पंख लगाकर,
एक नई दिशा की ओर बढ़ो।
सफलता की ऊँचाइयों को छूकर,
एक नया समाज गढ़ो।
तुम नहीं हो बेटों से कम,
तुममे भी है हिम्मत और दम।
नारी अबला है झुठलाना,
कुछ ऐसा करके दिखलाना।
कभी ना होना थककर चूर,
मंज़िल हो चाहे जितनी दूर।
दिल से मेरी दुआ है तुमको,
ख़ूब पढ़ो और ख़ूब बढ़ो।
हौसलों के पंख लगाकर,
एक नई दिशा की ओर बढ़ो।
माँ-बाप का रोशन नाम कर दो,
जगत में ऐसा काम कर दो।
दिन रात मेहनत करके बेटी,
कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ो।
हौसलों के पंख लगाकर,
एक नई दिशा की ओर बढ़ो।

प्रिती दूबे - भदोही (उत्तर प्रदेश)

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