संदेश
सुर्य देव की उपासना - कविता - संजीव चंदेल
सुर्य देव की हम उपासना करें माँगें सुख और शांति, हर काम सफल हो भगवन रहे न कोई भ्रांति। सुरज की भाँति सबका जीवन दमकता रहे चमकता रहे, घर…
छठ पर्व - लेख - सुनीता भट्ट पैन्यूली
जल-लहरियों में आस्था और विश्वास के रंगों में सजी, शृंगार-विन्यास में व्रतधारी स्त्रियाँ दूर पहाड़ों पर नीम-कुहासे को पछाड़ कर आसमान की…
बेटी - कविता - लाखम राठौड़
किसी गाय के बाछे की तरह टुकर-टुकर देखती असहाय-सी निरीह उदास बेटी, आँगन में गेरुए रंग बनी रंगोली की एक सुंदर लेकिन मिटि-मिटि-सी लकीर बे…
हम नहीं है कम - कविता - सुरेन्द्र सिंह भाटी
1. पड़ी जब इतिहास में तलवार उठाने की ज़रूरत तो हमने उठाई, क्रिकेट मैच के संकट में बल्ला उठाके बाजी भी हमने जिताई। आसमाँ से लेकर चाँद को…
छठ पूजन दें अर्घ्य हम - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
आदिदेव आदित्य अर्घ्य दूँ, धन मन जन कल्याण जगत हो। पूजन दें छठ अर्घ्य साँझ हम, हरें पाप जग मनुज त्राण हो। राग द्वेष हर शोक मनुज जग, हर…
नारी उत्पीड़न - कविता - अभिनव मिश्र 'अदम्य'
नारी की नियति अस्मिता पर, जब प्रश्न उठा तुम मौन हुए। जीवन भर बंदिश में रहना, तुम कहने वाले कौन हुए। सदा प्रताड़ित होती नारी, क्या उसका …
घर साथ चले - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी
रज़ा है के दुआओं का असर साथ चले, के मैं जब शहर जाऊँ तो घर साथ चले। मुझे डराने वैसे बहुत से हैं हालात चले, कभी मंज़िल चले तो कभी ताल्लुक़ा…
एहसास - कहानी - आशीष कुमार
मल्होत्रा परिवार की लाडली पद्मिनी उर्फ़ पम्मी ख़ुश-मिज़ाज लड़की थी। सुंदरता ऐसी की चाँद भी शरमा जाए। गोल मटोल मासूम सा चेहरा। आँखों से जै…
आज होने दो समर्पित - कविता - संजय कुमार चौरसिया
चिर वेदना में मुझे, आज होने दो समर्पित। शाख़ से टूटा हुआ मैं, रंग फीका और कल्पित। किशलय से टूट कर, आज जो पत्ती गिरी, कल मेरी लालिमा…
यह दर्द बहुत ही भारी है - कविता - आयुष सोनी
कई ख़्वाब टूट कर बिखर गए, कैसा हर रोज़ तमाशा है। नम आँखें है, ख़ामोशी है, मन में इक घोर निराशा है। कहने को एक सवेरा है पर रात दुखों की ज…
दौड़ में जुटने लगे हैं आदमी अब - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन तक़ती : 2122 2122 2122 दौड़ में जुटने लगे हैं आदमी अब, छोड़ के बैठे पुरानी सादगी अब। बढ़ गया काग़ज़ …
आग़ाज़ - कविता - प्रवल राणा 'प्रवल'
आग़ाज़ हुआ दिल की आवाज की झंकार का, मन के तारों के कंपन इक छूटे हुए संसार का। कहीं मन की घुटन कहीं तन की तपन, कहीं तन का व्यसन कहीं मनका…
हे तिथि अमावस दीपरात्रि! - कविता - राघवेंद्र सिंह | दीपावली पर कविता
हे तिथि अमावस दीपरात्रि! हे माह कार्तिक कृष्ण रात्रि! हो रहा आगमन दिव्य रूप, हो रहा कान्तिमय नव स्वरूप। कट रही दिशाओं की बाधा, दीपों न…
दीवाली की जगमग रात - कविता - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'
दीयों की रोशनी में जगमगा रही, दिवाली की जगमग रात। जहाँ-जहाँ राम ने चरण रखे, हो रही ख़ुशियों की बरसात। अमावस की काली रात भी, रोशनी से रो…
ख़ुशियों के दीपक जले - दोहा - डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज' | दीवाली पर दोहे
ख़ुशियों के दीपक जले, जग मग जगमग लोक। मिटे तिमिर अज्ञान का, रोग मोह मद शोक॥ ख़ुशियों के दीपक जले, बाल अधर मुस्कान। घर आँगन सब स्वच्छ …
मिट्टी के दीप जलाना - गीत - अंशू छौंकर 'अवनि'
क़सम तुम्हे इस मिट्टी की, मिट्टी के दीप जलाना। तिमिर मिटेगा जब दीवाली, में मिट्टी के दीप जलेंगे। और तभी चहुँओर चमन में, मुस्कुराहट के …
अच्छा हो एक दीप जलाओ - कविता - डॉ॰ आर॰ सी॰ यादव
अच्छा हो एक दीप जलाओ। सोए मन दर्पण के भीतर, नन्हा सा एक दीप जलाओ। अलसाई नींदों से जागो, ख़ुशियों का संगीत बजाओ। अच्छा हो एक दीप जलाओ॥ ट…
आया दीपों का त्यौहार - बाल गीत - डॉ॰ कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
झट पट दिए निकालो बच्चों, आया दीपों का त्यौहार। चिड़ियाँ चहक रहीं उपवन में, घर-घर में रौनक़ आई। मौसम अब हुआ सुहावना, चहुँदिश हरियाली छाई।…
मिट्टी के दीए - कविता - अनूप अंबर
मिट्टी के दीए जलाना तुम, ख़ुशियों का संसार सजाना तुम। पर इतना तुमको सदा याद रहे, किसी के आँसू मत बन जाना तुम। उम्मीद सजा कर अपने मन में…
प्रज्वलित कर लो दीप सत्य का - कविता - गोकुल कोठारी
कितना घना हो चाहे अँधेरा, एक दीप से डरता रहा है, हारा नहीं जो अब तक तमस से, हर जलजले में जलता रहा है। कहता है सूरज से आँखें मिलाकर, अग…
आई दीवाली - कविता - हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल'
माना रात है अँधेरी काली, फिर भी हुआ रौशन जग सारा। दुल्हन बनी है ये धरती न्यारी, चमक रहा हर घर, गली, चौबारा। दीपों की जगमग-जगमग है, बाज़…
धनतेरस पर्व - कविता - डॉ॰ रेखा मंडलोई 'गंगा'
कार्तिक कृष्ण की त्रयोदशी का प्यारा पर्व है आया, विष्णु वंशावतार धनवंतरी ने उत्साह बढ़ाया। अमृत कलश ले प्रकट हुए और चिकित्सा में चमत्क…
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