हम नहीं है कम - कविता - सुरेन्द्र सिंह भाटी

1.
पड़ी जब इतिहास में तलवार उठाने की ज़रूरत तो हमने उठाई,
क्रिकेट मैच के संकट में बल्ला उठाके बाजी भी हमने जिताई।
आसमाँ से लेकर चाँद को निखार डाला कल्पना ने,
गगन की हर ऊँचाई को नाप डाला गुंजन सक्सेना ने।
हम नहीं है कम।
हमारे हौसलों में हैं दम॥

2.
सलाह, दिशा सबकुछ उसी ने दिया,
इतिहास को हर श्रेष्ठ पुरुष उसी ने दिया।
फाइटर अवनी ने सोच सबकी बदली है,
मेडलों से ओलंपिक की तस्वीर बदली है।
हम नहीं है कम।
हमारे हौसलों में हैं दम॥

3.
दुनिया के हर ख़ेमे में तुम्हारे बराबर खड़े हैं,
बस आजतक तुम्हारी उस महान सोच के शिकार हैं।
जगा चुकी हैं बत्तियाँ हर और की,
मिस इंडिया बन चुकी बिटिया भारत की।
हम नहीं है कम।
हमारे हौसलों में हैं दम॥

4.
यूँ तरस तुम मत खाओ कर सकते हैं रक्षा ख़ुद की,
जो हाँकते हो तुम डींगे बात तुम्हारे उस पौरुष की।
देख लिया कितने मर्द हो तुम इसके चित्र रोज़ अख़बारो में आया करते हैं,
तभी तो मेरे जैसे कवि रोज यूँ इन मंचों से गाया करते हैं।
मर्द वो नहीं जो रात के अंधेरे में अत्याचार करता हो,
मर्द वो जो कृष्ण बनके द्रोपदी के लिए सड़कों पर उतरता हो।
हम नहीं है कम।
हमारे हौसलों हैं दम॥

5.
त्याग, ममता और करुणा ये इस जहाँ के लिए एक शब्दावली होती,
उसके बगैर ये सृष्टि आधी ही नहीं सारहीन होती।
आधे हो तुम पूरे होके भी,
निर्थक हो सार्थक होके भी।
हम नहीं है कम।
हमारे हौसलों में हैं दम॥

सुरेंद्र सिंह भाटी - उंटवालिया, नागौर (राजस्थान)

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